Left Banner
Right Banner

छत्तीसगढ़ में बीएड की 5000 सीटें खाली: छात्रों की कम रुचि चिंता का कारण

छत्तीसगढ़ में बीएड पाठ्यक्रम की 5300 सीटें खाली रह गई हैं, जो कुल सीटों का 36 प्रतिशत से अधिक है। यह स्थिति पिछले 25 वर्षों में दूसरी बार सामने आई है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) की काउंसलिंग की तीसरी लिस्ट के अनुसार, कुल 14400 बीएड सीटों में से केवल 9100 सीटें ही भरी गई हैं। इसी तरह डीएलएड पाठ्यक्रम में भी लगभग 2000 सीटें खाली हैं।

इस कमी के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण है TET यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा का अनिवार्य होना। अब माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी कक्षाओं में पढ़ाने के लिए बीएड और TET दोनों अनिवार्य हैं, जबकि प्राथमिक कक्षाओं के लिए डीएलएड पर्याप्त है। इसलिए छात्र बीएड के बजाय डीएलएड को प्राथमिकता दे रहे हैं।

दूसरा कारण स्कूलों का युक्तियुक्तकरण है। कई शिक्षक पद पहले से भरे हुए हैं और नई वैकेंसी कम हैं। इस वजह से छात्रों की बीएड में रुचि घट गई है।

तीसरा और महत्वपूर्ण कारण फीस का अधिक होना है। बीएड पाठ्यक्रम का सरकारी शुल्क 60 हजार रुपए तय है, लेकिन निजी कॉलेजों में यह 2 लाख रुपए तक पहुंच रहा है। इस वजह से छात्र शासकीय महाविद्यालयों में ही प्रवेश लेना चाहते हैं, और कई सीटें खाली रह जाती हैं।

पहले चरण की काउंसलिंग 29 अगस्त से शुरू हुई थी और इसमें तीन मेरिट लिस्ट जारी की गई। दूसरी चरण की काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन रविवार है। इस राउंड की मेरिट लिस्ट 9 अक्टूबर को जारी होगी और प्रवेश 16 अक्टूबर तक पूरा होगा। इसके बाद भी यदि सीटें खाली रहती हैं, तो तीसरी काउंसलिंग की संभावना है।

राज्य में बीएड और डीएलएड सीटों की इस कमी ने शिक्षा क्षेत्र में कई चिंताएं पैदा कर दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फीस कम करने, वैकेंसी बढ़ाने और छात्रों को जागरूक करने के उपाय किए जाएँ तो यह स्थिति सुधारी जा सकती है।

छात्रों की कम रुचि और महंगी फीस के चलते राज्य में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्रशासन ने इस पर विचार किया है और भविष्य में बीएड पाठ्यक्रम में अधिक प्रविष्टि सुनिश्चित करने के उपाय करने की योजना बनाई जा रही है।

Advertisements
Advertisement