कनाडा में रविवार (3 अगस्त, 2025) को भगवान श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया. इस प्रतिमा को ग्रेटर टोरंटो एरिया (GTA) स्थित एक मंदिर में स्थापित किया गया है. इस प्रतिमा के अनावरण के मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हुए, जिसमें कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में संघीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता भी शामिल रहे.
भगवान राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा को मिसिसॉगा शहर में स्थित एक हिंदू हेरिटेज सेंटर के परिसर में स्थापित किया गया है. इस समारोह में शामिल होने वालों में कनाडा के महिला और लैंगिक समानता मंत्री रेची वाल्डेज, ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष शफकत अली और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री मनिंदर सिद्धु शामिल थे.
नाडा के मंत्री ने जय श्री राम के उद्घोष के साथ किया संबोधित
प्रतिमा के अनावरण समारोह के मौके पर कनाडा के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री मनिंदर सिद्धु ने सभा को जय श्री राम के उद्घोष के साथ संबोधित किया. उन्होंने कहा कि उत्तर अमेरिका में भगवान राम की सबसे बड़ी प्रतिमा की स्थापना हमारे लिए गर्व और गौरव की बात है.
इस समारोह में कनाडा की हाउस ऑफ कॉमन्स में कंजरवेटिव पार्टी के अंतरिम नेता एंड्रयू शीर के साथ सांसद, कई प्रांत के मंत्री और स्थानीय राजनेता भी उपस्थित थे. वहीं, भारत सरकार की ओर से उत्तर अमेरिका में आयोजित इस समारोह में टोरंटो में कार्यवाहक कॉन्सुल जनरल कपिध्वज प्रताप सिंह ने प्रतिनिधित्व किया.
वहीं, हिंदू हेरिटेज सेंटर के संस्थापक और मुख्य पुजारी आचार्य सुरिंदर शर्मा शास्त्री ने कहा, “भगवान राम की केवल यह प्रतिमा 51 फीट ऊंची है. जबकि इस प्रतिमा का आधार अलग से सात फीट ऊंचा है और भविष्य में इसमें एक छत्र (छतरी) भी जोड़ा जाएगा, जिसकी अनुमति लेने के लिए प्रक्रिया चल रही है.”
उन्होंने कहा, “भगवान राम की यह प्रतिमा दिल्ली में निर्मित फाइबरग्लास से बनी है. इसके साथ ही इसकी संरचना में स्टील के सुपरस्ट्रक्चर का भी इस्तेमाल किया गया है. यह प्रतिमा 100 सालों तक टिक सकती है और 200 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज हवाओं का भी सामना कर सकती है.”
अयोध्या से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन से मिली थी प्रेरणा- शास्त्री
मुख्य पुजारी ने कहा, “इस प्रतिमा की प्रेरणा जनवरी 2024 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन से मिली थी. इस प्रतिमा की स्थापना सिर्फ गर्व की बात नहीं बल्कि यह पूरे समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक उपहार है, जो हमें धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है.”
उन्होंने कहा, “हालांकि, इस प्रतिमा का निर्माण भारत में ही हुआ है, लेकिन कनाडा के स्थानीय कारीगरों ने इसे यहां जोड़कर स्थापित किया है.”