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महिला सुरक्षा के लिए एमपी में बने 57 वन स्टॉप सेंटर, सशक्तिकरण का सबसे बड़ा अभियान

महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने इस समस्या से निपटने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में मिशन शक्ति की संबल उपयोजना के तहत वन स्टॉप सेंटर की स्थापना एक बड़ी पहल मानी जा रही है. इसका मकसद किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही स्थान पर सभी तरह की मदद उपलब्ध कराना है.

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सुरक्षित आश्रय एवं तात्कालिक सहायता – वन स्टॉप सेंटर उन महिलाओं को तत्काल आश्रय और सुरक्षा प्रदान करता है जो घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, यौन हिंसा अथवा किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होती है. सेंटर में महिलाओं को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें सुरक्षित वातावरण में आश्रय दिया जाता है.

कानूनी सहायता और परामर्श – वन स्टॉप सेंटर पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करता है ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सके और आवश्यक कानूनी कदम उठा सकें. कानूनी परामर्श और न्यायिक प्रक्रियाओं में सहायता मिलने से महिलाएँ अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय पाने की दिशा में सशक्त हो सकें.

चिकित्सा सहायता – वन स्टॉप सेंटर पर महिलाओं को तत्काल चिकित्सा सहायता मिलती है. हिंसा या प्रताड़ना से घायल महिलाओं को नजदीकी स्वास्थ्य सेवाएँ के साथ समन्वय कर चिकित्सा सेवाएं दी जाती है.

मनोवैज्ञानिक परामर्श – हिंसा की शिकार महिलाएं अक्सर मानसिक आघात से गुजरती हैं, वन स्टॉप सेंटर पर प्रशिक्षित परामर्शदाता महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करते है जिससे उनका आत्म-विश्वास मजबूत होता है.

पुनर्वास सेवाएं एवं समाज में पुनर्स्थापना – वन स्टॉप सेंटर महिलाओं को पुनर्वास सेवाएं भी प्रदान करते हैं. जरूरत पड़ने पर महिलाओं को उनके परिवार के साथ पुनर्स्थापित करने अथवा उन्हें स्वतंत्र जीवन जीने, अपने पैरों पर खड़ाहोने का अवसर प्रदान करता है.

आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रशिक्षण और रोजगार – वन स्टॉप सेंटर महिलाओं को रोजगार और स्व-रोजगार देने के लिये प्रशिक्षण देने का भी प्रयास करते है. महिलाओं को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है. इससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें और समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकें.

इस योजना के तहत दहेज उत्पीड़न, बलात्कार, यौन अपराध, बाल विवाह, गुमशुदा, अपहरण, निराश्रित आदि से संबंधित प्रकरणों में यथोचित मदद की गई. वर्ष 2019-20 में कुल 6 हजार 352 महिलाओं को सहायता दी गई थी. वर्ष 2023-24 में 21 हजार 490 महिलाओं को मदद प्रदान की गई. अब सभी वन स्टॉप सेंटर में वाहनों का प्रावधान भी किया गया है, जिससे दूरस्थ महिलाओं को भी त्वरित सहायता मिल सकेगी.

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