यहां जमा हैं 6 करोड़ टायर, क्यों कहा जाता है इसे ‘धरती का नरक’?

किसी गाड़ी के लिए टायर सबसे जरूरी चीज हैं. जब पहिए का अविष्कार किया गया होगा, तब शायद उसने यह नहीं सोचा होगा कि आज के समय में लोगों के लिए यह कितना जरूरी हो जाएगा. आज अगर पहिया न होता तो लोगों के लिए कितना मुश्किल हो जाता. आज पहिए की वजह से दुनिया में गाड़ियां इधर से उधर दौड़ रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक शहर ऐसा भी है, जिसको टायरों का कब्रिस्तान भी कहा जाता है.

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किसे कहते हैं टायरों का कब्रिस्तान 

दुनिया में एक शहर ऐसा है जो कि नेचुरल गैस और तेल के भंडारण के लिए जाना जाता है. लेकिन यह दुनिया में एक और वजह के लिए जाना जाता है. इसको टायरों का कब्रिस्तान भी कहते हैं. कुवैत के उत्तर की तरफ सुलाबिया टायर ग्रेवयार्ड है. पूरे देश के बेकार टायरों को लाकर वहीं पटका जाता था. तकरीबन 20 सालों से वहां टायर लाए जा रहे हैं. यही वजह से 2012 से 2020 के बीच इस जगह पर तीन बार आग लगने की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं.

कितने टायरों का लगा है ढेर

रिपोर्ट की मानें तो कुवैत में हर साल लाखों की संख्या में टायर बदल दिए जाते हैं. इसीलिए उनको इस जगह पर इकट्ठा किया जाता है. वहीं दुनियाभर से भी यहां पर बड़ी संख्या में टायर आते हैं. रिपोर्ट की मानें तो कुवैत में छह करोड़ से ज्यादा टायरों का ढेर लगा हुआ है. इसको दुनिया का सबसे बड़ा टायर डंपिंग प्लेस माना जाता है. यहां अल-सुलैबिया और अल-जहर में टायरों के बड़े पहाड़ देखे जा सकते हैं. टायरों का सही निस्तारण न होने की वजह से उनको खुले में छोड़ दिया जाता है.

कहते हैं दुनिया का नर्क

कुवैत में टायरों के रीसाइकलिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. लेकिन कुछ देशों में टायरों को रीसाइकिल करके नई सामग्री बनाई जाती है, लेकिन कुवैत में यह प्रणाली विकसित नहीं हो पाई है. सरकार की ओर से टायरों के सही निस्तारण पर सख्ती न होने के कारण कई लोग उनको रेगिस्तान में ही फेंक देते हैं. पुराने टायरों में आग लगने की वजह से वहां की हवा जहरीली हो रही है. यही वजह है कि इसको धरती का नर्क भी कहते हैं.

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