क्या आप भूत-प्रेत में यकीन करते हैं? अगर आपका जवाब ना है, तो शायद इस लड़की की कहानी जानकर आपको भी आत्माओं पर यकीन होने लगेगा. जर्मनी की 23 वर्षीय एनालिस मिशेल की कहानी इतनी रोंगटे खड़े कर देने वाली थी कि इस पर हॉलीवुड फिल्म ‘द एक्सोरसिज्म ऑफ एमिली रोज’ बनाई गई. मिशेल की मां का कहना था कि वह बेहद शांत और खुशमिजाज लड़की थीं. पर दुर्भाग्य से जीवन ने तब भयानक मोड़ लिया, जब 16वें साल में कदम रखने के कुछ ही समय बाद उन्हें दौरे पड़ने लगे. इसके आगे की कहानी रूह कंपा देने वाली है.
डेली स्टार के अनुसार, मिशेल का जन्म बवेरिया शहर के एक कैथोलिक परिवार में 21 सितंबर 1952 को हुआ था. वह जब 16 साल की थीं, तभी उन्हें Temporal Lobe Epilepsy नामक बीमारी हो गई. इसमें मरीज धीरे-धीरे याद्दाश्त खो बैठता है, फिर शरीर पर उसका कंट्रोल भी नहीं रहता. शुरुआत में घरवालों ने उन्हें अपने गुरूजी को दिखाया, लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टर के पास ले गए. हालांकि, पांच साल के ट्रीटमेंट के बाद भी मिशेल ठीक नहीं हो पाईं.
मिशेल की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी. वहीं, वह अजीब आवाज में भी बातें करने लगी थीं. यह देख घरवालों को लगा कि उन्हें कोई बीमारी नहीं, बल्कि किसी बुरी आत्मा का साया है. इसके बाद मिशेल के माता-पिता ने अपने पहचान के एक पादरी को घर बुलाया. लेकिन जब पादरी घर पहुंचा, तो उसके बाद का नजारा देखकर वहां मौजूद हर कोई सहम गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, पादरी को देखते ही मिशेल ने फर्श पर पेशाब कर दिया, फिर उसे चाटने लगीं. इसके बाद पास रखे कोयले को भी खा गई. इस दौरान उनके चेहरे पर अजीब-सी शैतानी हंसी थी. पादरी ने घबराते हुए घरवालों को बताया कि उनकी बेटी के शरीर में शैतानी आत्माओं का वास है, वो भी एक नहीं बल्कि छह. मिशेल अब मकड़ियों को भी खाने लगी थीं और कुत्ते की तरह भी भौंकना शुरू कर दिया था.
पादरी ने कहा कि यह उसके अकेले के बस की बात नहीं. इसके लिए और भी कई पादरियों की जरूरत पड़ेगी. फिर झाड़-फूंक का दौर शुरू हुआ, लेकिन इससे भी मिशेल की हालत में सुधार नहीं हुआ. बल्कि कथित तौर पर शैतानी ताकतें उन पर और भी हावी हो गईं. मिशेल अब घरवालों पर अविश्वसनीय ताकत से हमले करने के साथ ही खुद को भी चोट पहुंचाने लगी थीं.
18 महीनों के दौरान पादरियों ने 67 बार मिशेल का झाड़-फूंक किया, लेकिन वह ठीक नहीं हो पाईं. मिशेल ने अब खाना-पीना भी छोड़ दिया था. इसके बाद पादरियों ने उनसे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं? जवाब में मिशेल कहती थीं कि शैतानी आत्माएं उन्हें खाने नहीं देतीं. ऐसे में वह कुपोषण का शिकार हो गईं और 23 साल की उम्र में दम तोड़ दिया.
झाड़-फूंक के दौरान रिकॉर्ड की गई थी ये आवाज
30 जून, 1976 को आखिरी बार झाड़-फूंक के दौरान मिशेल ने पादरियों से कहा था, मैं अब थक चुकी हूं. इस शरीर से छुटकारा पाना चाहती हूं. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि मिशेल की मौत कुपोषण के चलते हुई थी. डॉक्टरों का कहना था कि अगर सही समय पर मिशेल को ट्रीटमेंट दी गई होती, तो उनकी जान बच सकती थी.