राजस्थान : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RPCB) के आदेश के तहत प्रदेशभर में 1 जुलाई से सभी ईंट-भट्टों का संचालन छह माह के लिए बंद हो जाएगा। यह पाबंदी 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगी, जिसके बाद 1 जनवरी से ही ईंट-भट्टे फिर से शुरू किए जा सकेंगे। आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई और आर्थिक दंड का प्रावधान भी तय किया गया है.
भीलवाड़ा जिले में मांडल और जहाजपुर क्षेत्र ऐसे इलाके हैं जहां सर्वाधिक भट्टे संचालित होते हैं. अकेले जिले में 250 से अधिक और प्रदेशभर में करीब 5,000 ईंट-भट्टे हैं। इनमें न केवल स्थानीय मजदूर बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से आए हजारों श्रमिक रोजगार प्राप्त करते हैं. अब इन श्रमिकों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. एक भट्टा संचालक ने बताया, “छह महीने तक उत्पादन ठप रहने से भारी नुकसान होगा. मशीनरी रखरखाव का संकट भी उत्पन्न होगा और ईंटों की कीमतों में तेज़ उछाल आ सकता है. इससे मकान निर्माण महंगा होगा और लोगों की जेब पर असर पड़ेगा.
दरअसल, यह निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश के बाद लिया गया है जिसमें बड़े पैमाने पर संचालित ईंट-भट्टों के कारण पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने की बात कही गई थी. भट्टा संघों द्वारा फायरिंग अवधि सीमित करने का प्रस्ताव दिए जाने के बावजूद प्रदूषण स्तर में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं देखी गई.
जिसके चलते बोर्ड ने सख्त कदम उठाया. विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भले ही पर्यावरण की दृष्टि से उचित हो, लेकिन इससे निर्माण क्षेत्र और मजदूर वर्ग पर गंभीर आर्थिक असर पड़ेगा. निर्माण सामग्री की कीमतों में तेजी और मजदूरों का पलायन आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती बन सकता है. भट्टा संचालक सरकार से पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं ताकि किसी वैकल्पिक समाधान के तहत पर्यावरण और रोजगार दोनों को संतुलित रखा जा सके.