मध्य प्रदेश में गुना जिले के धरनावदा गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक घटना हुई. गाय के एक बछड़ा कुएं में गिर गया था. उसे बचाने के लिए एक-एक कर 6 लोग कुएं में उतर गए. इनमें से पांच की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति को गांव वालों ने बचा लिया. हैरान करने वाली बात ये है कि मौके पर लोगों को निकालने के लिए पहुंची राज्य आपदा आपातकालीन मोचन बल (State Disaster emergency Response Force, SDERF) भी खड़े होकर तमाशा देखती रही.
घटना के बाद SDERF की लापरवाही को लेकर लोगों में गुस्सा है. कुएं में 5 लोग मर रहे थे और बचाने के लिए पहुंची SDERF की टीम बाहर खड़ी होकर तमाशा देख रही थी. SDERF की टीम जब रेस्क्यू के लिए घटना स्थल पर पहुंची तो टीम बचाव तो छोड़िये, कुएं में उतरी तक नहीं. उनके पास न तो ऑक्सीजन सिलेंडर थे और न ही कोई सुरक्षा के उपकरण. यही वजह रही कि बचाने के लिए गांव वालों को कुएं में उतरना पड़ा. उन्होंने खटिया के सहारे डुबते युवकों को बचने का प्रयास भी किया लेकिन सिर्फ एक को ही बचाया जा सका.
कुएं में कितना पानी था?
आशंका जताई जा रही है कि इन 5 लोगों की मौत कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से हुई है. बताया गया कि जहरीली गैस के कारण उनका दम घुटने लगा और वे एक-एक कर बेहोश होते चले गए. कुएं में करीब 10 से 12 फिट पानी था, जिसके कारण डुबने से उनकी मौत हो गई.
मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे कुछ युवक आम तोड़ रहे थे. तभी पास में मौजूद कुएं में एक बछड़ा गिर गया. उस बछड़े को बचाने के लिए आम तोड़ रहे युवक दौड़े. इन युवकों में मन्नी कुशवाह जिसकी उम्र 33 साल थी, रस्से के सहारे कुएं में नीचे उतर गया. हालांकि, वो वापस नहीं लौटा. इसके बाद 25 वर्षीय सिद्धार्थ सहरिया, सोनू कुशवाह, शिवलाल साहू, गुरूदयाल ओझा और पवन कुशवाह एक-एक कर कुएं में उतरे. हालांकि, सिद्धार्थ के अलावा कोई भी जिंदा नहीं बचा.
क्या देर से पहुंची राहत-बचाव की टीम?
प्रशासन ने कहा कुएं में जहरीली गैस की आशंका थी. SDERF टीम को रेस्क्यू के लिए सुरक्षा उपकरणों की जरूरत थी, लेकिन वे देर से पहुंचे. रेस्क्यू टीम के पहुंचने से पहले गांव वालों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था.
गुना हादसे पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शोक जताया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मृतकों के परिवार के लिए 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है.