झटके में 63000 करोड़ साफ! H-1B वीजा की IT कंपनियों पर चोट, TCS- इंफोसिस के शेयर गिरे

अमेरिकी सरकार के एक फैसले का असर सोमवार को भारतीय शेयर बाजारों पर देखने को मिल रहा है. देश की तमाम आईटी कंपनियों के शेयर गिरकर कारोबार कर रहे हैं. दरअसल, H-1B वीजा फीस में बढ़ोतरी का असर सोमवार को भारतीय IT दिग्गजों पर साफ दिखाई दिया. आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनियां TCS और Infosys के शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे एक ही दिन में निवेशकों की करीब ₹63,000 करोड़ की संपत्ति स्वाहा हो गई.

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, TCS का शेयर दिन में ₹3,063.05 तक गिरा और 11 बजे 2.87% की गिरावट के साथ ₹3080.80 पर कारोबार कर रहा था. वहीं Infosys के शेयर ₹1500.30 पर कारोबार कर रहा है. ट्रेडिंग के दौरान शेयर लुढ़क कर ₹1,480.05 तक गया. इसके अलावा Wipro, HCL Tech, LTIMindtree, Tech Mahindra, Persistent Systems, Coforge और Mphasis जैसे अन्य IT स्टॉक्स में भी 2-3% तक की कमजोरी दर्ज की गई.

वीजा आवेदन शुल्क में बढ़ोतरी का असर

बता दें, अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीजा आवेदन शुल्क बढ़ा दिया है. अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस US$ 100,000 (करीब 88 लाख रुपये) कर दी है. यह नई H-1B आवेदन-पेटीशन्स (New Applicants) पर लागू होगी. मौजूदा वीजाधारकों और वीजा के नवीकरण (renewals) पर यह नया शुल्क नहीं लागू होगा. यह शुल्क एक-बार जमा करना होगा, यानी यह वार्षिक शुल्क नहीं है. H-1B वीजा के लिए पहले औसतन 6 लाख रुपये लगते थे.

H-1B वीजा वो रास्ता है जिससे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स अमेरिका जाकर काम करते हैं. ये फैसला रविवार से लागू हो चुका है और इसका सीधा असर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर पड़ रहा है, जो इस वीजा कैटेगरी में सबसे ज्यादा हैं. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस बढ़ोतरी का असर फिलहाल सीमित रहेगा और इसका मुख्य असर FY 2026-27 से दिखेगा.

फिलहाल आईटी कंपनियों पर कम असर

जानकारों का कहना है कि H-1B फीस बढ़ने से लागत तो बढ़ेगी, लेकिन इसका असर मार्जिन पर बहुत बड़ा नहीं होगा. IIFL Securities ने अनुमान लगाया है कि EBIT मार्जिन पर केवल 20-60 बेसिस प्वाइंट्स का असर होगा और EPS में 1.2-4.5% तक कमी आ सकती है.

JM Financial और Nuvama का कहना है कि आईटी कंपनियां अपनी रणनीति बदलकर इस लागत को संतुलित कर सकती हैं, जैसे कि केवल जरूरी भूमिकाओं के लिए H-1B वीजा लेना, ऑफशोरिंग बढ़ाना और स्थानीय स्तर पर भर्तियां करना.

अगर शेयर बाजार के संदर्भ में देखें तो विशेषज्ञों का मानना है कि H-1B फीस बढ़ोतरी का असर शॉर्ट टर्म में शेयरों की कीमतों पर दिखेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म में भारतीय IT सेक्टर मजबूत स्थिति में रहेगा. फिलहाल निवेशकों को घबराने की बजाय कंपनियों की रणनीति और तिमाही नतीजों पर नजर रखनी चाहिए.

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