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पिछले साल बोर्ड परीक्षाओं में फेल हुए 65 लाख छात्र, सबसे खराब रहा UP-MP का रिजल्ट, देखें Data

शिक्षा मंत्रालय ने साल 2023 के 10वीं और 12वीं कक्षा के रिजल्ट को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि पिछले साल 65 लाख से अधिक छात्र कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड में पास नहीं हो पाए और राष्ट्रीय बोर्ड की तुलना में राज्य बोर्ड में फेल होने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा रही.

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56 राज्य बोर्डों और तीन राष्ट्रीय बोर्डों सहित 59 स्कूल बोर्डों के कक्षा 10 और 12 के परीक्षा परिणामों के विश्लेषण से पता चला है कि सरकारी प्रबंधन वाले स्कूलों से 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में लड़कियां ज्यादा शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में इसका उल्टा रहा.

लड़कियों ने 10वीं और 12वीं में मारी बाजी

PTI के अनुसार, पिछले साल लड़कियों का पास प्रतिशत लड़कों के मुकाबले 6 प्रतिशत ज्यादा रहा. कक्षा 10 के लगभग 33.5 लाख ऐसे छात्र जो 10वीं पास कर 11वीं में नहीं पहुंच पाए. इनमें 5.5 लाख उम्मीदवार उपस्थित नहीं हुए और 28 लाख फेल हो गए. यह एक वजह है कि उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में छात्रों की कम उपस्थिति और नामांकन दर कम रही. इसी तरह, 12वीं कक्षा के लगभग 32.4 लाख छात्रों ने ग्रेड पूरा नहीं किया. इसमें 5.2 लाख उपस्थित नहीं हुए और 27.2 लाख परीक्षा पास करने में असफल रहे.

बोर्ड रिजल्ट में इन राज्यों का रिकॉर्ड सबसे खराब

10वीं कक्षा में, राष्ट्रीय बोर्डों में छात्रों का विफलता दर छह प्रतिशत है, जबकि राज्य बोर्डों में यह 16 प्रतिशत से भी ज्यादा है. 12वीं कक्षा में, राष्ट्रीय बोर्डों में विफलता दर 12 प्रतिशत है जबकि राज्य बोर्डों में ये18 प्रतिशत है. विश्लेषण से पता चला कि ओपन स्कूल का प्रदर्शन दोनों कक्षाओं में खराब था. 10वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश बोर्ड में थी, उसके बाद बिहार और यूपी है. जबकि 12वीं कक्षा में सबसे अधिक छात्रों के फेल होने की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश से और उसके बाद मध्य प्रदेश से है.

खराब रही छात्रों की परफॉर्मेंस

सूत्रों से पता चला है कि पिछले साल की तुलना में 2023 में छात्रों के प्रदर्शन में गिरावट आई है. सरकारी स्कूलों से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में लड़कियों ने अधिक भाग लिया है. सूत्रों के अनुसार यह माता-पिता द्वारा शिक्षा पर खर्च करते समय लड़का लड़की में अंतर करना दर्शाता है. इसके बावजूद, सभी प्रबंधन में उत्तीर्ण प्रदर्शन में लड़कियों का दबदबा रहा है. 12वीं कक्षा में, निजी स्कूलों में 87.5 प्रतिशत लड़कियां पास हुईं, जबकि 75.6 प्रतिशत लड़के पास हुए, जो कि चार लाख लड़कियों के मुकाबले लगभग 9 लाख लड़के परीक्षा में असफल रहे.

इन दो भाषाओं का पास प्रतिशत सबसे अधिक

कुल 59 परीक्षा बोर्डों ने अपने परिणाम जारी किए, जिनमें तीन राष्ट्रीय और 56 राज्य बोर्ड शामिल हैं. कुछ बोर्ड गैर-एनसीईआरटी पाठ्यक्रम भी अपनाते हैं. कक्षा 10 में, 18.5 मिलियन छात्रों में से 84.9 प्रतिशत पास हुए है. हालांकि, करीब 33.5 लाख छात्र फेल हो गए या अनुपस्थित रहे, जिससे कक्षा 11 में कम संख्या में छात्रों ने दाखिला लिया. कक्षा 12 में, 15.5 मिलियन छात्रों में से 82.5 प्रतिशत पास हुए. नेपाली और मणिपुरी भाषाओं में पास होने की दर सबसे अधिक है.

इस विषय को सबसे ज्यादा पसंद किया गया

कक्षा 10 में मराठी, पंजाबी और मलयालम जैसी भाषाओं में परीक्षा देने वाले छात्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा. हिंदी और अंग्रेजी के अलावा, बंगाली और मराठी माध्यम में भी अच्छे परिणाम देखे गए. सूत्रों के अनुसार पता चला कि विज्ञान सबसे लोकप्रिय विषय है. इस विषय को 43 प्रतिशत छात्रों ने चुना है और इनमें ज्यादातर लड़के हैं. इसके बाद कला का विषय है, जिसे 39 प्रतिशत छात्रों ने चुना. इसमें लड़कियों का हिस्सा ज्यादा है. लड़कियों का पास प्रतिशत विज्ञान में लड़कों से थोड़ा अधिक है और कला में काफी अधिक है.

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