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सुपौल में 696 बच्चे शिक्षा से वंचित, सर्वे ने खोली सिस्टम की पोल

सुपौल : जिले में 696 बच्चे ऐसे हैं जो किसी भी विद्यालय में नामांकित नहीं हैं। दिसंबर 2024 में विभाग ने विद्यालय से बाहर बच्चों का घर-घर सर्वे कराया था. इसमें यह बात सामने आई है कि 696 ऐसे बच्चे हैं जो या तो किसी विद्यालय में नामांकित नहीं है या फिर किसी कारणवश बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी है.

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चिन्हित ये सभी बच्चे 6 से 19 आयु वर्ग के हैं. फिलहाल विभाग ने इन बच्चों का आंकड़ा प्रबंध पोर्टल पर अपलोड किया है. इन बच्चों का नामांकन मुक्त विद्यालीय शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालीय शिक्षण संस्थान में कराया जाना है. आंकड़ों के अनुसार सर्वेक्षण में चिन्हित बच्चों में सर्वाधिक 6 से 14 आयु वर्ग के हैं.

जिले के हर प्रखंड में किए गए सर्वेक्षण के बाद जो आंकड़े आए हैं उसमें इस उम्र के अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित पाए गए हैं. सर्वेक्षण के मुताबिक 6 से 14 आयु वर्ग के 479 ऐसे बच्चे हैं जो अब तक किसी भी विद्यालय में नामांकित नहीं हैं. जबकि 15 से 19 वर्ष के बच्चों की संख्या 217 है. स्कूल से वंचित बच्चों के मामले में सरायगढ़ प्रखंड की स्थिति जिले में सबसे खराब है.

इस प्रखंड में दोनों आयु वर्ग के 150 बच्चे विद्यालय से बाहर हैं. जबकि सबसे बेहतर स्थिति जिले के प्रतापगंज प्रखंड की है. इस प्रखंड में सिर्फ 6 से 14 आयु वर्ग के चार बच्चे ही विद्यालय से बाहर हैं. इस प्रखंड में 15 से 19 आयु वर्ग के एक भी बच्चे विद्यालय से बाहर नहीं हैं. 6 से 14 आयु वर्ग में सबसे अधिक राघोपुर प्रखंड के बच्चे शामिल हैं. इस प्रखंड के 125 ऐसे बच्चे हैं जो विद्यालय से वंचित हैं.

जबकि 15 से 19 आयु वर्ग में सबसे अधिक सरायगढ़ प्रखंड के 65 बच्चे विद्यालय से बाहर हैं. इस आयु वर्ग में सबसे बेहतर स्थिति पिपरा और प्रतापगंज प्रखंड की है. इन दोनों प्रखंडों में 15-19 आयु वर्ग का एक भी बच्चा विद्यालय से बाहर नहीं है. संभाग प्रभारी सूर्य नारायण पासवान कहते हैं कि विद्यालीय शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालीय शिक्षण संस्थान में कराया जाना है. इसके अलावा इन बच्चों को विद्यालय से जोड़कर इन्हें विशेष शिक्षा दी जानी है ताकि जिले में विद्यालय से बाहर बच्चों की संख्या शून्य पर लाई जा सके.

 

 

 

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