खजाने से भरी 7 पहाड़ियां: यहां छिपा है 25 टन सोना, क्या है इसकी रहस्यमयी कहानी?

केंद्र सरकार ने 24 साल पहले 1 मार्च 2001 को घाटे के बहाने कर्नाटक स्थित कोलार सोने की खदान को बंद कर दिया था. हालाँकि, सोने की खदान बंद होने के समय, सोने की खदान के श्रमिकों का बकाया वेतन और पेंशन कुल 58 करोड़ रुपये था. ऐसे में कई श्रमिक संगठन सड़कों पर उतर आए और अपने साथ हुए अन्याय को चुनौती देने के लिए अदालत चले गए. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी 7 जुलाई 2006 को सोने की खदान को पुनः खोलने की मंजूरी दे दी.

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी 2010 में वैश्विक स्तर पर सोने की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को कोलार सोने की खदान को फिर से खोलने का निर्देश दिया. इसके बाद केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया.

फिर से खोली गई खदान

सुप्रीम कोर्ट ने वैश्विक निविदा आमंत्रित कर शर्तों के साथ 2013 में सोने की खदान को पुनः खोलने का आदेश जारी किया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने वैश्विक निविदा के जरिए सोने की खदान की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हुए कहा था कि मौजूदा हालात में सोने का खनन शुरू करना आसान काम नहीं होगा. ऐसे में हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि केजीएफ में सोने के खनन के दौरान सोने से अलग की गई मिट्टी से सोना प्राप्त किया जा सकता है.

शहर के आसपास हैं 13 साइनाइड पहाड़ियां

केजीएफ शहर के आसपास 13 साइनाइड पहाड़ियां हैं, जिनमें लगभग 5 मिलियन टन मिट्टी होने का अनुमान है. ऐसे में इस सारी मिट्टी की खुदाई की जाए तो औसत 25 टन सोना मिलने की उम्मीद है. ऐसे में केजीएफ की 13 साइनाइड पहाड़ियों में, सोने की फिर से जांच करने के काम के लिए टेंडर बुलाया गया. शोध के अनुसार कहा जाता है कि एक टन मिट्टी में औसतन एक ग्राम सोना पाया जाता है. इसका मतलब यह है कि यदि इस सारी मिट्टी की खुदाई की जाए तो औसत 25 टन सोना मिलने की उम्मीद है. अब उस मिट्टी से सोना निकालने का काम शुरू हो गया है. हालांकि अभी टेंडर प्रक्रिया को भी रोक दिया गया है.

52 करोड़ रुपये का मुआवजा

केंद्र सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव और 2016 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यहां के खनिकों को 52 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना अभी बाकी है. इसके अलावा अगर मिट्टी के टीलों को खोदने का काम फिर से शुरू हो गया, तो इससे केजीएफ सिटी के लिए समस्या उत्पन्न हो जाएगी. ऐसे कहा जा रहा है कि साइनाइड-दूषित मिट्टी शहर में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं और धूल की समस्या पैदा कर सकती है.

केजीएफ में हैं बहुत सारे सोने के भंडार

कुछ खनन यूनियन नेताओं का कहना है कि प्रौद्योगिकी उन्नत हो चुकी है और यदि सोने का खनन अब पुनः शुरू हो जाए तो यह लाभदायक हो सकता है. केजीएफ में सोने के बहुत सारे भंडार हैं. ब्रिटिश काल के दौरान केजीएफ में लगभग 27 स्वर्ण भंडारों की पहचान की गई थी. इनमें से केवल दो या तीन स्थानों पर ही सोने का खनन कार्य चल रहा है, जबकि शेष 24 स्थानों पर कोई खनन कार्य नहीं चल रहा है.

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