बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, राज्य के निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार अब तक 99% मतदाताओं को इस प्रक्रिया के तहत कवर किया जा चुका है, जबकि प्रारूप मतदाता सूची तैयार करने का काम तेजी से जारी है. निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार 1 सितंबर तक कोई भी निर्वाचक या राजनीतिक दल मतदाता सूची से नाम हटने या ग़लत नाम जुड़ने पर दावा या आपत्ति दर्ज करा सकता है.
बता दें कि स्थानीय BLOS या BLAs द्वारा 21.6 लाख मृत मतदाताओं के नाम पाए गए हैं. 31.5 लाख लोग स्थायी रूप से राज्य से प्रवास कर चुके हैं. 7 लाख मतदाताओं के वोट एक से ज्यादा जगह पाए गए हैं. 1 लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पा रहा है. इसके अलावा, 7 लाख से कम मतदाताओं के फॉर्म अब तक वापस नहीं मिले हैं.
अब तक 7.21 करोड़ मतदाताओं (91.32%) के फॉर्म प्राप्त और डिजिटाइज किए जा चुके हैं, जिनके नाम प्रारूप मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे. शेष फॉर्म BLO और BLA की रिपोर्ट के साथ डिजिटाइज हो रहे हैं, ताकि दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान जांच में आसानी हो सके. राज्य निर्वाचन विभाग की कोशिश है कि संशोधित मतदाता सूची पूरी तरह निष्पक्ष, अपडेट और त्रुटिरहित हो, ताकि आगामी चुनाव पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ संपन्न हो सकें.
बता दें कि बिहार में SIR प्रक्रिया पर तकरार इतनी बढ़ चुकी है कि अब चुनाव बहिष्कार की बात होने लगी है. आज तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर बिहार में एसआईआर के नाम पर धांधली नहीं रुकी तो वो चुनाव बहिष्कार करेंगे. इंडिया ब्लॉक में जल्द ही चुनाव बहिष्कार को लेकर रणनीति बन सकती है, जो पूरे भारत में अमल में लाई जा सकती है. हालांकि चुनाव आयोग ने ऐसी धमकियों के आगे झुकने से साफ मना कर दिया है. आयोग की ओर से कहा गया है कि ऐसे सियासी आरोपों और सवालों से डरकर चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराना नहीं छोड़ेगा, फर्जी मतदान नहीं होने देगा.
क्या है विपक्ष का कहना?
विपक्ष कह रहा है कि जिस तरह की धांधली के खुलासे हो रहे हैं, एसआईआर प्रक्रिया के बहाने मनमर्जी तरीके से वोटर हटाए और जोड़े जाने का खतरा बढ़ गया है. हालांकि अभी 2 दिन और हैं, इसके बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट रोल आएगा. 1 महीने तक आपत्तियां देने और सुधार करने का मौका मिलेगा, फिर फाइनल वोटर लिस्ट तैयार होगी. ये फाइनल लिस्ट ठीक चुनाव के पहले आएगी और तब उसमें सुधार मुश्किल होगा, लेकिन विपक्ष शायद सितंबर तक इंतजार करने के मूड में नहीं है, सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को सुनवाई है, आशंका है कि विपक्ष की मर्जी का फैसला नहीं आया तो चुनाव बहिष्कार पर बात आगे बढ़ सकती है. राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि उन्होंने कर्नाटक में चुनाव आयोग की वोटर जोड़ने वाली धांधली पकड़ ली है और जल्द ही दिखाएंगे.