दमोह : जिले में तीन वर्षों में 739 सड़क हादसों में मौतें हुईं. दुर्घटनाओं की जांच के लिए भोपाल की एनआईटीटीआर टीम पहुंची.खराब सड़कों, अंधे मोड़ों, तेज रफ्तार और नियमों की अनदेखी को हादसों का कारण बताया गया.प्रशासन ने रिपोर्ट तैयार कर रेडियम पट्टियाँ लगाने जैसे कदम शुरू किए हैं.
दमोह जिले की सड़कों पर मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। तीन साल में 739 लोगों ने दम तोड़ा है.अब हादसों की वजह पता करने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल की टीम शनिवार को जांच करने दमोह पहुंची.
टीम में अनुज जायसवाल प्राध्यापक, प्रीतिकना दास सहायक प्राध्यापक, परिजात जैन अरवन प्लानर और मेघनाद पीएचडी स्कॉलर शामिल थे.साथ ही दमोह यातायात टीआई दलवीर सिंह मार्को और आरटीओ क्षितिज सोनी की मौजूदगी रही। टीम ने तेंदूखेड़ा, जबेरा, मारा, सिग्रामपुर और समन्ना पहुंचकर ब्लॉक स्पॉट और हादसों वाली जगह का बारीकी से अवलोकन किया.इसके बाद रात को कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर ने टीम के साथ बैठक की। बता दें कि कलेक्टर सुधीर कोचर ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक को पत्र लिखकर टीम भेजने की मांग की थी.
मौतों का आंकड़ा बढ़ता गया
2022 से अब तक 2329 सड़क हादसे हुए जिसमें 2203 लोग घायल हुए.इनमें से कई लोग जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए. तो, पिछले तीन सालों में 739 की जान चली गई। बात साल 2024 से अब तक की करें, तो स्थिति और भयावह हो गई। इस बीच 1003 दुर्घटनाएं और 205 मौतें दर्ज हो चुकी हैं। जबकि इससे पहले साल 2022 में 234 मौत हुईं, वहीं 2023 में 210 लोगों की जान चलीं गईं। इधर, आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो हर महीने औसतन 70 हादसे और 20 मौतें दर्ज हो रहीं हैं। बताया जा रहा है कि जिले में सबसे ज्यादा हादसे तेंदुखेड़ा क्षेत्र में हो रहे हैं।
दमोह के हाईवे हों या ग्रामीण क्षेत्रों की टूटी सड़कें, इनके अंधे मोड़ों पर लोग हर दिन अपनी किस्मत लेकर निकलते हैं। कहीं गड्ढा है, तो कहीं संकेतक गायब। जब हादसे होते हैं, तो प्रशासनिक अमला मौके पर खानापूर्ति करने पहुंच जाता है.
सड़क हादसों के प्रमुख कारण
अनियंत्रित गति पर वाहन चलाना हादसों का सबसे बड़ा और आम कारण बन चुका है। नियमों की अनदेखी जिसमें हेलमेट न पहनना, गलत दिशा में वाहन चलाना भी हादसों को बढ़ा रहे हैं। जिले की कई सड़कें जर्जर हालत में हैं। इससे वाहन असंतुलित होकर टकरा जाते हैं.शराब या नशीले पदार्थ का सेवन कर वाहन चलाने से नियंत्रण खोकर दुर्घटनाएं हुई.ज्यादा सवारी या ज्यादा माल ढोने वाले वाहन असंतुलित होकर हादसों की वजह बन रहे हैं। कई सड़कों पर अंधे मोड़ हैं, जहां संकेतक, रेलिंग या स्पीड कंट्रोल के उपाय ही नहीं हैं.
हाइवे पर लगाए रेडियम
सिंग्रामपुर पुलिस ने कई अंधे मोड और ब्लैक स्पॉट पर रेडियम पट्टी लगाई है.सिंग्रामपुर चौकी प्रभारी आलोक तिरपुडे ने बताया कि उनकी टीम ने सिंग्रामपुर से जबेरा तक रेडियम लगवाए हैं ताकि हादसे होने से बच सकें.यहां अंधे मोड पर कई बड़े हादसे हो चुके हैं.