छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में घर वापसी का बड़ा आयोजन किया गया, जिसमें 70 जनजातीय लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया। यह कार्यक्रम कुई-कुकदुर क्षेत्र में आयोजित हुआ, जहां पंडरिया की विधायक भावना बोहरा ने स्वयं पहुंचकर इनका स्वागत किया। उन्होंने परंपरागत तरीके से सभी का पैर पखारकर सम्मान किया और कहा कि जनजातीय समाज को भटकाने की साजिशें अब सफल नहीं होंगी।
विधायक भावना बोहरा ने समारोह में कहा कि कुछ संगठन और लोग लालच व प्रलोभन देकर आदिवासी समाज को उनकी संस्कृति और परंपराओं से दूर कर रहे हैं। उन्होंने इसे समाज के साथ अन्याय बताते हुए कहा कि आदिवासी अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं और यही सही दिशा है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे, जिन्होंने इस फैसले का समर्थन किया।
इस अवसर पर पीएम सूर्य घर योजना के प्रचार के लिए जागरूकता रथ को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। विधायक ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें लगातार जनजातीय समाज के विकास के लिए योजनाएं चला रही हैं, जिनका लाभ समय पर लेना जरूरी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे किसी भी तरह के लालच में आए बिना अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करें।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कहा कि धर्मांतरण से समाज की एकता और परंपरा कमजोर होती है। कई लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ समूह पैसे, शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का लालच देकर धर्मांतरण करा रहे हैं। वहीं घर वापसी करने वाले परिवारों ने कहा कि वे अपनी मूल संस्कृति और परंपराओं को छोड़कर गलती कर बैठे थे, अब वापस लौटकर उन्हें आत्मसंतोष महसूस हो रहा है।
यह आयोजन न सिर्फ कवर्धा बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में ऐसे और भी आयोजन हो सकते हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में आदिवासी अपनी पुरानी परंपराओं से जुड़ना चाहते हैं। इस घर वापसी कार्यक्रम ने सामाजिक और धार्मिक विमर्श को एक नई दिशा दी है।