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सोमनाथ मंदिर का मनाया गया 74वां स्थापना दिवस समारोह, ध्वज पूजा, महापूजा समेत धार्मिक कार्यक्रम हुए आयोजित

प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर का 74वां स्थापना दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया. सोमनाथ मंदिर विघटन के बाद पुनर्जन्म का सर्वोत्तम उदाहरण है. अखंड सोमनाथ मंदिर के प्रति आस्था सदियों से कायम है, लेकिन सदियों के निर्माण और विघटन के बाद जब देश आजाद हुआ तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के दृढ़ संकल्प से सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण संभव हो सका. जब मंदिर का गर्भगृह तैयार हो गया तो 11 मई 1951 और वैशाख सुद पंचम को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा सुबह 9 बजकर 46 मिनट पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस महान क्षण को 74 वर्ष पूर्ण हो गए हैं.

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दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र सौराष्ट्र के रत्नाकर सागर के तट पर स्थित आदि ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर का 74वां प्राणप्रतिष्ठा दिवस है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय तत्कालीन राष्ट्रपति ने शिवलिंग के आधार पर रखे स्वर्ण शलाका को हटा कर शिवलिंग स्थापित किया और प्राण प्रतिष्ठा की. तब 108 तीर्थों और 7 समुद्रों से जल लाकर सोमनाथ महादेव का अभिषेक किया गया और उस शुभ घड़ी में 101 तोपों की सलामी दी गई.

सोमनाथ मंदिर के 74वें स्थापना दिवस के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल, जिनके दृढ़ संकल्प के कारण सोमनाथ मंदिर का निर्माण संभव हो सका, को श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि अर्पित की गई. सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद नया ध्वज फहराया गया. शनिवार सुबह 9:46 बजे मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के समय उसी समय महापूजा की गई और उस अवसर पर पुजारी गण द्वारा भस्म त्रिपुंड सजाया गया. इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रभारी महाप्रबंधक अजय कुमार दुबे सहित ट्रस्ट परिवार एवं स्थानीय तीर्थ पुरोहित शामिल हुए. विशेष रूप से संध्या आरती के समय सोमनाथ महादेव का भव्य श्रृंगार कर दीपमाला अर्पित की गई.

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