फर्जी हस्ताक्षर कर किसान के खाते से 8 लाख निकाले:14 दिन के अंदर 4 बार लेन-देन हुए; बैंक कर्मी पर रिश्वत मांगने का आरोप

गरियाबंद जिले में एक किसान से करीब 8 लाख की धोखाधड़ी हुई है। नवीन शुक्लीभांटा के रहने वाले खेमा पांडे ने 31 जनवरी को समर्थन मूल्य पर 255.20 क्विंटल धान बेचा था। इसके एवज में 7.91 लाख रुपए देवभोग सहकारी बैंक शाखा में जमा हुए। लेकिन किसान को यह राशि नहीं मिली।

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पीड़ित किसान का कहना है कि किसी ने गोहरा पदर शाखा से फर्जी हस्ताक्षर कर पूरे पैसे निकाल लिए। 14 से 28 फरवरी के बीच 14 दिन के अंदर चार अलग-अलग लेनदेन में यह राशि निकाली गई। शिकायत के बाद जांच में इस बात की पुष्टि हुई है।

सहकारी बैंक के विड्रॉल में हस्ताक्षर किसान के स्पेसिमेन से मैच नहीं कर रहे थे। बावजूद इसके मामले में अब तक हेड ऑफिस ने जिम्मेदारी नहीं ली है। पीड़ित पिछले 2 महीने से न्याय के लिए भटक रहा है। उसने लिखित शिकायत में गोहरा पदर ब्रांच में कार्यरत कर्मी पर डेढ़ लाख मांगने का आरोप लगाया है।

जिला प्रशासन के निर्देश के बाद भी जांच नहीं

पीड़ित ने 9 अप्रैल को देवभोग शाखा में शिकायत दर्ज कराई थी। शाखा ने 12 अप्रैल को जिला सहकारी बैंक के मुख्यालय को इसकी जानकारी दी। 29 अप्रैल को कलेक्टर भगवान सिंह उईके से जनदर्शन में मिलकर न्याय की गुहार लगाई।

कलेक्टर ने जिला सहकारी उपपंजीयक को जांच के निर्देश दिए। लेकिन अभी तक न तो जांच शुरू हुई और न ही किसान को उसका पैसा मिला।

जांच में दो महत्वपूर्ण तथ्य

बैंक की जांच में दो महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। पहला, किसान का खाता देवभोग शाखा में था, इसलिए गोहरा पदर शाखा से पैसे निकालना नियम के खिलाफ था। दूसरा, राशि निकालने के लिए फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया।

किसान बोला – पैसे के लिए परिवार में विवाद हो रहा

किसान खेमा पांडे और उनके दो भाइयों का कुल 15 एकड़ रकबे में शामिलात खाता है। पीड़ित ने बताया कि उपज के बदले मिले सारे रुपए निकाल लिए गए। 1.57 लाख कर्ज भी बकाया है।दोबारा कर्जा नहीं मिलेगा। आर्थिक तंगी से परिवार गुजर रहा,रुपए को लेकर रोजाना परिवार में विवाद हो रहा।

सुशासन तिहार में गुहार लगाया तो जांच शुरू हुई

सुशासन तिहार में किसान ने दोबारा आवाज उठाया तो अब सहकारी बैंक प्रबंधन ने अपने एक अफसर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। अफसर 28 मई को जांच के लिए गरियाबंद से गोहरा पदर पहुंचे थे। संबंधित दोनों बैंक मैनेजर से रिकार्ड लेने के बाद किसान का बयान भी दर्ज किया है।

मामले में जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी शिवेश मिश्रा से फोन पर बात हुई। जांच के विषय में सवाल पूछते ही उन्होंने चुप्पी साध लिया। दोबारा कॉल करने पर वे कोल रिसीव नहीं किए।

किसान ही नहीं, कई और लोगों से ठगी

बताया जा रहा है गोहरा पदर ब्रांच में किसान खेमा पांडे का ही नहीं बल्कि कई और लोगों के साथ भी धोखाधड़ी हुई है। कांडेकेला के रहने वाले नमिता नाम के खाताधारक के लोन खाते में 2023 से 90 हजार नहीं आए।

माहुलकोट के किसान यशवंत मांझी का 8 हजार गायब हो गया। जिसकी जांच अब तक नहीं हुई। कहा जा रहा है कि देवभोग ब्रांच के 6 से ज्यादा खाताधारकों के लगभग 42 लाख रुपए खेमा के खाते की तरह निकाले गए।

कार्रवाई के नाम पर हुई खानापूर्ति

लगातार शिकायत के बाद जिला सहकारी बैंक रायपुर के सीईओ ने 16 अप्रैल को तत्कालीन बैंक मैनेजर नयन सिंह ठाकुर को हटाकर दूसरे ब्रांच का जिम्मा दे दिया। कलर्क सुरेश साहू और एकाउंटेड दीपराज मसीह को निलंबित कर कार्रवाई की खाना पूर्ति हो गई। जबकि किसानों से ठगी मामले में अपराध पंजीबद्ध कर कानूनी कार्रवाई कराया जाना था।

देवभोग सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक अमर सिंह ध्रुव ने कहा कि किसान से शिकायत मिलते ही जांच कर रिपोर्ट हेड ऑफिस भेज दिया गया है। इंटर ब्रांच में विड्रॉल से निकाला जाना गलत था, किसान के हस्ताक्षर भी मैच नहीं हुए। मामले से जुड़े सभी जानकारी हेड ऑफिस भेज दिया गया है।

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