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हरदोई में 8 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म, मामा को उम्रकैद

हरदोई : जिले के बेनीगंज थाना क्षेत्र में 4 साल पहले 8 वर्षीय मासूम से दुष्कर्म के दोषी को अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 15 पाक्सो ने आजीवन कारावास व 50 हजार रुपए के अर्थ दंड से दण्डित किया है.

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न्यायाधीश ने अर्थ दंड की धनराशि पीड़िता को अदा करने का भी आदेश दिया है. मामले में आयोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित कुमार शुक्ला ने पैरवी की. शादी कार्यक्रम में शामिल होने गई 8 वर्षीय मासूम को सुनसान स्थान पर ले जाकर रिश्ते के मामा द्वारा दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था.

मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक अमित कुमार शुक्ला ने बताया कि 15 जून 2020 को जिले के बेनीगंज थाना क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने थाने में तहरीर देकर बताया था कि उसके गांव में 14/15 जून 2020 की रात को शादी कार्यक्रम था.

कार्यक्रम में वह अपने परिजनों के साथ गया हुआ था साथ में 8 वर्षीय बच्ची भी गई थी. सभी कार्यक्रम से घर लौट आए पर 8 वर्षीय बच्ची नहीं लौटी. कुछ समय बाद रात करीब 1 बजे बच्ची रोती हुई खून से लथपथ आई और पूंछने पर बताया कि दीपक जो के रिश्ते का मामा लगता है.

वह शादी कार्यक्रम से उसे गोद में उठा ले गया और अच्छा खाना खिलाने को कहा. बाग में सुनसान स्थान पर अंधेरे में ले जाकर दीपक सिंह ने उससे दुष्कर्म किया. किसी को  बताने पर जान से मारने की धमकी दी.

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ तहरीर के आधार पर दुष्कर्म, पोक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर आरोपी को जेल भेजा. पुलिस ने विवेचना उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया. न्यायालय द्वारा अभियुक्त दीपक सिंह के विरुद्ध धारा 376, 506 आईपीसी व पोक्सो एक्ट का आरोप 21 दिसंबर 2020 को विचरित किया गया.

विशेष लोक अभियोजक अमित कुमार शुक्ला द्वारा अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन कथानक को साबित करने हेतु वादी मुकदमा पीड़िता, पीड़िता के परदादा डॉक्टर. हेड मोहर्रिर. विवेचक, रेडियोलॉजिस्ट आदि कुल 7 गवाहों को न्यायालय के समक्ष पेश किया. विशेष लोक अभियोजक की दमदार पैरवी की बदौलत अपर सत्र न्यायाधीश श्रद्धा तिवारी द्वारा अभियुक्त पीड़िता के रिश्ते के मामा दीपक सिंह पर धारा 376, 506 व पोक्सो एक्ट के तहत बीती 27 सितंबर दोष सिद्ध किया गया था.

सोमवार को मासूम से रेप के दोषी दीपक सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश श्रद्धा तिवारी ने उपरोक्त मामले में आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया. अर्थ दंड न अदा किए जाने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश दिया. न्यायाधीश ने यह भी आदेश पारित किया कि अर्थदंड की धनराशि पीड़िता को अदा की जाए.

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