मंत्रालय में आउटसोर्सिंग से रखे गए 70 प्यून, फिर आउटसोर्सिंग
राज्य में पहली बार सीजीपीएससी से 91 प्यून की भर्ती हुई थी, लेकिन इनमें से ज्यादातर ने कुछ महीने बाद ही नौकरी छोड़ दी। वजह- ये ज्यादा पढ़े-लिखे थे। जब इनसे पानी पिलाने या फाइल लाने-ले जाने के लिए कहा जाता, तो इन्हें बड़ी आत्मग्लानि होती थी। कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद इनमें से आधे से ज्यादा ने नौकरी छोड़ दी है।
कई ने सूचना देकर नौकरी छोड़ी तो कई बिना बताए नहीं आ रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय में लगभग एक दशक बाद फिर आउटसोर्सिंग से प्यून की भर्ती करनी पड़ रही है। करीब 70 लोगों को चपरासी के पद पर रखा गया है। पीएससी के जरिए नियुक्त लोगों के चले जाने के बाद प्यून को लेकर जीएडी से एक मांग पत्र एनआरडीए को भेजा गया था।
अभी मंत्रालय का मेंटनेंस और स्टाफ की मॉनिटरिंग का काम एनआरडीए ही कर रहा है। एनआरडीए की इंजीनियरिंग शाखा ने इसे पूरा किया और एक एजेंसी से 70 लोगों को हायर कर प्यून बना दिया। अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि शासन के पास पैसे नहीं हैं। पीएससी से रखने पर 22 से 24 हजार रुपए देने पड़ते हैं। जबकि आउटसोर्सिंग से करीब 8500 रुपए दिए जा रहे हैं। हर सरकारी विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर आदि आउटसोर्सिंग पर ही रखे गए हैं।