फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए योगा पोज की बात करें तो शुरुआत में रोजाना बस एक से दो मिनट भुजंगासन का अभ्यास करना चाहिए. हालांकि समय के साथ इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है. इससे छाती, फेफड़ों के साथ ही पेट और कंधे की मसल्स मजबूत होती हैं साथ ही रीढ़ भी लचीली बनती है.
सर्दियों या किसी भी मौसम में सांस संबंधी समस्याओं से बचने और राहत पाने के लिए उष्ट्रासन करना फायदेमंद रहता है. यह योगासन छाती की मांसपेशियों को फैलाता है और फेफड़ों को खोलने में सहायक है. इस योगासन को करने से पीठ और कमर दर्द से राहत मिलती है साथ ही पेट की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.
अर्धमत्येंद्रासन जिसे अंग्रेजी में ‘हाफ स्पाइनल ट्विस्ट’ कहते हैं. इस योगासन को करने से छाती खुलती है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की सप्लाई बेहतर तरीके से होने लगती है. इसके अलावा ये योगासन पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतों के कम करने, कंधों. पीठ के ऊपरी हिस्से, और गर्दन की मांसपेशियों के स्ट्रेस को भी कम करता है.
गौमुखासन सांस से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद रहता है. अस्थमा वालों को ये योगासन करने से काफी राहत मिल सकती है. इसके अलावा ये योगासन कूल्हे और कमर के दर्द, कंधों की जकड़न, गर्दन और पीठ के दर्द से राहत दिलाने के अलावा पोस्चर सुधार में लाभकारी रहता है.
सांस संबंधित समस्याओं से बचाव के लिए सबसे बेहतरीन होता है कि आप प्राणायाम करें, क्योंकि प्राणायाम सांस की टेक्नीक पर ही आधारित होते हैं. सांस की प्रॉब्लम बार-बार सर्दियों में ट्रिगर न हो, इसके लिए कपालभाती, नाड़ी शोधन प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, और भ्रामरी में से कोई एक या दो प्राणायाम रोजाना किए जा सकते हैं