Vayam Bharat

महिला नागा साधु कितने कपड़े पहन सकती हैं? जानें वस्त्र धारण से जुड़े खास नियम…

प्रयागराज में आज से महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है. पहले ‘अमृत स्नान’ के लिए श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ी है. यहां लाखों की तादाद में नागा साधु भी पहुंचे हैं. नागा साधुओं के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लेकिन आज हम आपको महिला नागा साधुओं के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताएंगे, जो शायद ही आपने सुने होंगे.

Advertisement

नागा में बहुत साधु वस्त्रधारी और बहुत साधु दिगंबर यानी बिना कपड़ा के होते हैं. लेकिन, महिलाएं भी जब संन्यास में दीक्षा लेती हैं तो उन्हें भी नागा बनाया जाता है. लेकिन, वे सभी कपड़े पहनती हैं. महिला नागा साधुओं को अपने माथे पर एक तिलक लगाना होता है. उन्हें एक ही कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जिसका रंग गुरुआ होता है.

बिना सिले पहनने होते हैं कपड़े

महिला नागा साधु बिना सिला हुआ कपड़ा पहनती हैं, जिसे गंती कहा जाता है. नागा साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. जब महिलाएं ये कर ले जाती हैं, तो उन्हें महिला गुरु नागा साधु बनने की अनुमति दे देते हैं.

जिंदा ही खुद का करना होता है पिंडदान

महिला नागा साधु को यह साबित करना होता है कि वह पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं. अब उसका सांसारिक मोह माया से लगाव खत्म हो गया है. महिला नागा साधु को खुद ही अपना पिंडदान करना होता है. पिछली जिंदगी को पीछे छोड़ना होता है. महिलाओं को सन्यासी बनाने की प्रक्रिया अखाड़ों के सर्वोच्च पदाधिकारी आचार्य महामंडलेश्वर पूरी कराते हैं.

दिनभर भगवान का जाप करती हैं

महिला नागा साधु भोर में नदी में स्नान करती हैं. इसके बाद महिला नागा साधु साधना शुरू करती हैं. अवधूतानी मां पूरा दिन भगवान का जाप करती हैं. सुबह उठकर शिव आराधना करती हैं. शाम में भगवान दत्तात्रेय की पूजा करती हैं.

Advertisements