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108 बार डुबकी, भूखे पेट तपस्या: महाकुंभ में 1800 साधु बनेंगे नागा, आज से शुरू हुई कठिन परीक्षा, जानें पूरी प्रक्रिया”

प्रयागराज में अब अखाड़ों के लिए पर्ची कटना शुरू हो गई है. यानि जिन्हें नागा साधु बनना है, उनके लिए यहां भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मौनी अमावस्या से पहले-पहले सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे. जूना अखाड़े में आज से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी. नागा साधुओं को इसके लिए 108 बार डुबकी लगाकर परीक्षा देनी होगी.

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बताया जा रहा है कि 1800 से भी ज्यादा साधुओं को अखाड़ों में शामिल करके नागा बनाया जाएगा. जूना के अलावा महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या से पहले ही नागा साधु बनाए जाएंगे. संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे.

24 घंटे बिना खाना-पानी के तपस्या

प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है. जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के मुताबिक, 17 जनवरी को धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या के साथ संस्कार की शुरुआत होगी. 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के यह तपस्या करनी होगी. इसके बाद अखाड़ा कोतवाल के साथ सभी को गंगा तट पर ले जाया जाएगा.

108 डुबकी लगाने के बाद शुरू होगी दीक्षा

गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन होगी. यहां पांच गुरु उनको अलग-अलग वस्तु देंगे. संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे. इसके बाद हवन होगा. 19 जनवरी की सुबह लंगोट खोलकर वह नागा बना दिए जाएंगे. हालांकि उनको वस्त्र के साथ अथवा दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाता है. वस्त्र के साथ रहने वाले अमृत स्नान के दौरान नागा होकर ही स्नान करेंगे. महंत रमेश गिरि का कहना है महाकुंभ में सभी अखाड़े 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाएंगे. इनमें सर्वाधिक जूना अखाड़े से नागा बनाए जाएंगे.

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