Left Banner
Right Banner

Bhojshala Dhar: भोजशाला को हिंदुओं को सौंपने की मांग को लेकर अब लगातार होगा सत्याग्रह

धार(Bhojshala Dhar)। धार की ऐतिहासिक भोजशाला के पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद इसे हिंदुओं को सौंपने की मांग को लेकर सत्याग्रह और आंदोलन खड़ा करने तैयारी है। अब पूरे जिले के हिंदू समाज से हर मंगलवार भोजशाला आने का आह्वान किया जाएगा।

लगातार एक वर्ष यानी 52 सप्ताह तक धार जिले के शहरी- ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को यहां लाया जाएगा। भोजशाला की मुक्ति और उसके गौरव की पुनर्स्थापना के लिए प्रति मंगलवार को सत्याग्रह किया जाता है।

इसमें हनुमान चालीसा का पाठ और मां वाग्देवी (सरस्वती) की आराधना की जाती है। अब इसमें ग्रामीण और शहरी लोगों की सहभागिता बढ़ाने यह कदम उठाया जा रहा है। इस तरह बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयारी है। इसका नेतृत्व महाराजा भोज स्मृति वसंत उत्सव समिति कर रही है।

एएसआई करता है संरक्षण

उद्देश्य यही है कि भोजशाला की मुक्ति के लिए जनजागरण व्यापक स्तर पर हो सके। बता दें, भोजशाला पर मुस्लिम पक्ष भी दावा करता है। यहां कमाल मौला मस्जिद है और परिसर में हर शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाती है। इसका संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) करता है।

महाराजा भोज स्मृति वसंत उत्सव समिति की गुरुवार को बैठक हुई। समिति के महामंत्री सुमित चौधरी ने बताया कि यह तय किया गया कि एक वर्ष तक भोजशाला से हिंदू समाज के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाए।

सत्याग्रह में बढ़ेगी संख्या

इसके लिए 20 जनवरी तक बैठक कर तहसील स्तर पर टोलियां बनाई जाएगी। टोलियां गांव-गांव जाकर लोगों को भोजशाला आने के लिए प्रेरित करेंगी। इससे हर मंगलवार को होने वाले सत्याग्रह में लोगों की संख्या बढ़ेगी.

साथ ही, 19 जनवरी से इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफार्म खासकर ‘एक्स’ पर इस मांग को ट्रेंड करवाने का प्रयास किया जाएगा। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय स्थानीय लोगों की एक बैठक की जाएगी। उनके माध्यम से इंटरनेट मीडिया की ताकत का उपयोग भोजशाला मुक्ति के जनजागरण के लिए किया जाएगा। तीन फरवरी को मनाई जाने वाली वसंत पंचमी के लिए भी विशेष तैयारी की जा रही है।

हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने दायर की है याचिका

बता दें, हिंदू फ्रंट फार जस्टिस के माध्यम से हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर कर भोजशाला पर हिंदू समाज का पूरा अधिकार देने की मांग की गई है। हाई कोर्ट के आदेश पर पिछले साल एएसआइ ने करीब 90 दिन तक पुरातात्विक और वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया।

एएसआई ने सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है

इसके बाद एएसआई ने सर्वेक्षण रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत कर दी है। इस रिपोर्ट पर अगली कोई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भोजशाला सहित अन्य धार्मिक स्थानों की याचिका को एक साथ सुना जाना है।

सिक्के और शिलालेख भी मिले

एएसआई के सर्वे में मूर्तियां, उनके टुकड़े, सिक्के और शिलालेख मिले थे। खंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ ही मानव और पशु आकृतियां मिली थीं। निष्कर्ष निकला कि कमाल मौलाना मस्जिद के निर्माण में पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों का उपयोग किया गया था।

 

Advertisements
Advertisement