संन्यास परंपरा में गुरु ही माता-पिता और भगवान है. लेकिन आईआईटी वाले बाबा अभय ने इस परम्परा को न सिर्फ तोड़ा बल्कि गुरू से विश्वास घात भी किया और आखिर में बाबा अभय को जूना अखाड़े से बाहर कर दिए गएं. ऐसा नहीं है कि बाबा अभय को सुधरने का मौका नही दिया गया. उन्हें एक शिविर से निकालकर दूसरे शिविर में भेजा गया था, लेकिन उन्होंने अपने गुरू और जूना अखाड़े के संत सोमेश्वर पुरी का अपमान करना जारी रखा.
जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक हरि गिरी ने इसको अखाड़े की परम्परा का उल्लंघन माना और बाहर का रास्ता दिखा दिया. बाबा अभय अब न तो जूना अखाड़े के किसी शिविर में रह पाएंगे और न ही जूना अखाड़े के किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे. उनकी वजह से जूना अखाड़े में भीड़ बढ़ते जा रही थी लेकिन गुरू के अपमान को लेकर उनपर कार्रवाई हुई है. बाबा अभय सनातन के नाम पर नशे में अनाप शनाप बोल रहे थे और अपने माता पिता के बारे में भी ऐसी बाते कर रहे थे जो कि अनुचित थी.
IIT बाबा ने गुरु पर लगाए थे आरोप
आईआईटी वाले बाबा अभय ने भी अपने गुरू सोमेश्वर पुरी पर आरोप लगाया है कि वो उनकी लोकप्रियता से परेशान हो कर उनको अखाड़े से निकलवाया गया हैं. उनको निकलवाने के बाद भी वो साज़िश कर रहे हैं. अखाड़े के दूसरे सन्यासी कह रहे हैं कि अभय को अखाड़े के कई संत और सन्यासी समझाते रह गएं कि उल्टा बयान मत दो ज्यादा नशा मत करो और गुरू के प्रति समर्पण भाव रखो लेकिन वो नही माना.
जूना अखाड़े से निकाले गएIIT बाबा
जूना अखाड़े के संत ने बताया कि सन्यासी अपने साथी के प्रति भी विनम्रता का भाव रखते हैं और गुरु तो हमारे लिए ईश्वर के समान है. अभय ने इस परम्परा को तोड़ा है इसलिए उन्हें जूना अखाड़े से हरि गिरी जी महाराज ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.