रीवा: मध्य प्रदेश के रीवा जिले की 9 वर्षीय सुधीक्षा बाजपेयी ने अपनी प्रतिभा से सभी को चौंका दिया है, इतनी कम उम्र में सुधीक्षा ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराकर रीवा और पूरे विंध्य क्षेत्र को गौरवान्वित किया है, उसने आंखों पर पट्टी बांधकर महज 6.62 सेकंड में ए से जेड तक के अक्षर टाइप कर नया रिकॉर्ड बनाया है.
अनोखा हुनर जिसने सभी को चौंकाया
सुधीक्षा बाजपेयी की टाइपिंग की खास बात यह है कि वह यह सब आंखों की मदद के बिना यानी आंखों पर पट्टी बांधकर करती है, उसकी उंगलियां कीबोर्ड पर इतनी तेजी और सटीकता से चलती हैं कि, देखने वाले दंग रह जाते हैं। यह कारनामा न सिर्फ उसकी मेहनत और लगन का नतीजा है, बल्कि उसकी प्रतिभा का सबूत भी है.
सुधीक्षा की मां साधना बाजपेयी ने कहा कि हमें हमेशा लगता था कि सुधीक्षा में कुछ खास है। वह अपने गुरु विकास त्रिपाठी से प्रेरित होकर इस मुकाम पर पहुंची है। उसकी मेहनत और लगन ने उसे यह उपलब्धि दिलाई है। हम चाहते हैं कि वह और भी बड़े कीर्तिमान स्थापित करे.
गुरु से प्रेरणा और कड़ी मेहनत का जादू
सुधीक्षा के गुरु विकास त्रिपाठी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षित किया। उन्होंने कहा, “सुधीक्षा को टाइपिंग में गहरी रुचि थी। हमने उसे टाइपिंग में सटीकता और गति लाने का तरीका सिखाया. उसकी लगन और अभ्यास ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया, उसने आंखों पर पट्टी बांधकर यह उपलब्धि हासिल की, जो अपने आप में बड़ी बात है.
कैसे बनीं रिकॉर्ड होल्डर
सुधीक्षा ने अपनी तैयारी के दौरान घंटों अभ्यास किया और धीरे-धीरे अपनी गति और सटीकता में सुधार किया. उन्होंने ए से जेड तक वर्णमाला टाइप करने में मात्र 6.62 सेकंड का समय लिया। उनकी इस उपलब्धि को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने मान्यता दी और उनका नाम दर्ज किया.
माता-पिता की खुशी
सुधीक्षा की सफलता ने उनके परिवार को गौरवान्वित किया है, उनकी मां ने कहा, “हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि, वह और ऊंचाइयों को छुए। उसकी यह उपलब्धि पूरे रीवा के लिए गौरव की बात है.
रीवा की प्रतिभा फिर सुर्खियों में
अजीब प्रतिभाओं का शहर” कहलाने वाले रीवा ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, सुधीक्षा की यह उपलब्धि रीवा ही नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात है.
भविष्य की योजनाएं
सुधीक्षा के परिवार ने बताया कि अभी भी उसकी ट्रेनिंग जारी है। वे चाहते हैं कि, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी तरह के कीर्तिमान स्थापित करे. उसके गुरु भी उसे बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
सुधीक्षा बनी प्रेरणा
सुधीक्षा बाजपेयी की कहानी हर उस बच्चे और परिवार के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखता है, उसकी मेहनत और लगन ने साबित कर दिया कि उम्र और सीमाएं सिर्फ सोच का हिस्सा होती हैं.