राजस्थान के भीलवाड़ा में अस्पताल के बाहर एक महिला मरीज को लेकर आई एंबुलेंस के समय पर होने के बावजूद महिला को नहीं बचाया जा सका. मामला राजकीय महात्मा गांधी अस्पताल का है जहां समय से पहुंचने के बाद भी डॉक्टर महिला की जांच नहीं कर सके. दरअसल हॉस्पिटल के गेट पर पहुंची एंबुलेंस का डोर इस कदर लॉक हो गया कि मरीज को बाहर निकालना मुश्किल हो गया और इसी में इतनी देरी हो गई कि महिला ने दम तोड़ दिया.
मामला भीलवाड़ा के प्रताप नगर थाना क्षेत्र का है जिसमें महिला के परिजनों ने एंबुलेंस का गेट खोलने के लिए काफी देर मशक्कत की और बाद में उन्होंने कांच तोड़कर उसे बाहर निकालना चाहा लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी. दरवाजे में गड़बड़ी के अलावा परिजनों का यह भी आरोप था कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं था.
दरअसल, जवाहर नगर की 46 वर्षीय सुलेखा ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी. उनके बेटे गौरव ने बताया कि मैं रविवार होने के कारण देर तक सो रहा था. फोन की घंटी बजने पर उठा तो माँ सुलेखा फांसी के फंदे पर झूलती देखी. मेरे छोटे भाई और पापा उसे फांसी के फंदे से उतार कर एंबुलेंस की सहायता से हॉस्पिटल के लिए रवाना हुए. तब तो माँ की सांसें चल रही थीं.
गौरव ने आगे बताया कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर पूरी तरह से काम नहीं कर रहा था.इधर, ड्राइवर रास्ता भूल गया और फिर जब हम किसी तरह अस्पताल पहुंचे तो गेट लॉक हो गया. इस सब में 20 मिनट बीत गए. देरी के चलते माँ की मौत हो गई.
भीलवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सी पी गोस्वामी ने कहा कि ‘भीलवाड़ा जिले में 32 एंबुलेंस संचालित हैं. एंबुलेंस में कोई तकनीकी खराबी नहीं थी. एंबुलेंस के सिलेंडर में ऑक्सीजन भी है, कोई भी चेक कर सकता है. अभी भी एंबुलेंस पुलिस थाने में खड़ी हुई है.’ प्रताप नगर थाना अधिकारी सुरजीत ठोलिया ने बताया कि महिला के सुसाइड की सूचना मिली थी. पुलिस पहुंची तब तक परिजन महिला को फंदे से उतारकर अस्पताल ले जा चुके थे. परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर कई आरोप लगाए हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी. फिलहाल परिजनों ने पुलिस थाने पर कोई रिपोर्ट नहीं दी है.