कहते हैं आध्यात्मिकता की कोई सीमा नहीं होती. ऐसा ही एक नजारा महाकुंभ में देखने को मिल रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच करीब एक हजार दिनों से खूनी जंग चल रही है लेकिन दोनों देशों के आध्यात्मिक नेता कुंभ में एक साथ नजर आए. यूक्रेन से स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस से आनंद लीला माता, महाकुंभ मेले में एक ही मंच से प्रेम, शांति और करुणा पर प्रवचन दे रहे हैं.
दोनों आध्यत्मिक संत सेक्टर 18 में पायलट बाबा के कैंप में दैनिक सत्र आयोजित कर रहे हैं, जहां दुनिया के कई हिस्सों से भक्त उनके प्रवचन को सुनने के लिए इकट्ठा होते हैं. यूक्रेन और रूस से 70 से ज्यादा लोग शिविर में एक साथ रह रहे हैं और 100 से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है.
कैसे उपदेश देते हैं दोनों देशों से आए संत?
रूस और यूक्रेन से आए दोनों संतों के उपदेशों में अक्सर पारंपरिक प्रार्थनाएं और रोजमर्रा की जिंदगी में आध्यात्मिकता को लागू करने के बारे में चर्चाएं शामिल होती हैं. दोनों ही आध्यात्मिक सत्य की सार्वभौमिक प्रकृति पर जोर देते हुए अपने-अपने देश के व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हैं.
गिरिजी महाराज को पहले वैलेरी के नाम से जाना जाता था. वे पूर्वोत्तर यूक्रेन के खार्किव शहर से ताल्लुक रखते हैं और अब जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं.
अंग्रेजी अख़बार toi की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरिजी महाराज ने कहा, “विश्व शांति के लिए मेरा संदेश दो शब्दों में व्यक्त किया गया है: “लोकसंग्रहम” (सार्वभौमिक भलाई) और “अरु पडै” (सार्वभौमिक ज्ञान). हमें ‘लोक: समस्त: सुखिनो भवन्तु’ मंत्र को याद रखना चाहिए, जो सभी जीवों की भलाई और खुशी की कामना करता है. मानवता में ‘सत्व ऊर्जा’ की कमी है. जब समाज, राष्ट्र और पृथ्वी पर ध्यान के डरिए सत्व ऊर्जा फैलती है, तो दुनिया बेहतर की दिशा में बदलने लगती है और सत्य युग, स्वर्ण युग के लिए मंच तैयार हो जाता है.”
यह मेरी पांचवीं यात्रा…’
आनंद माता पश्चिमी रूस के निज़नी नोवगोरोड से हैं. उन्हें कभी ओल्गा के नाम से जाना जाता था. उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में यह मेरी पांचवीं यात्रा है. पहली बार मैं महामंडलेश्वर पायलट बाबाजी के बुलावे पर यहां आई थी. 2010 में मैंने महामंडलेश्वर का दर्जा स्वीकार किया और तब से मैं करीब हर कुंभ मेले में आई हूं.”
आनंद माता कहती हैं कि कुंभ मेला साधु संस्कृति के दिल में खुद को डुबोने और शांति का संदेश फैलाने का एक अनूठा मौका है. इस जश्न का हिस्सा बनने के लिए कई संत कुंभ मेले में आते हैं. यह हजारों लोगों के लिए अपने कर्म और चेतना को पवित्र करने का एक तरीका भी है. मैं यहां दुनिया भर से आए अपने छात्रों से मिलने, उन्हें सनातन धर्म की संस्कृति दिखाने, अद्वैत वेदांत, शैव धर्म, योग और ध्यान की शिक्षाएं देने के लिए आती हूं.”
वे आगे कहती हैं कि जब रूस और यूक्रेन के लोग एक साथ सद्भाव में बैठते हैं, तो यह एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि आध्यात्मिक खोज कैसे राष्ट्रीय पहचान से परे लोगों को एकजुट कर सकती है.
गिरिजी महाराज और आनंद माता दोनों ही विश्व शांति और युद्ध से प्रभावित देशों के बीच हल निकाले जाने के लिए दुआ करते हैं. दोनों देश खूनी संघर्ष में लगे हुए हैं, जिससे दोनों पक्षों में भारी जान-माल का नुकसान हुआ है और यूक्रेन में बड़ा विनाश हुआ है.