उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पर्यटकों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए नगर निगम पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों को व्यवस्थात्मक ढंग से चलाने के लिए नए सिरे से नियम बना रहा है. इसी के चलते नगर निगम ने नौका संचालन को लेकर नियमों में बदलाव किए हैं. नए नियम के मुताबिक नौका संचालन से जुड़े नाविकों को नए सिरे से लाइसेंस बनवाना होगा.
मोटर बोट का लाइसेंस चार्ज जो पहले 650 रुपये था. उसे बढ़ाकर 5000 रूपये करने की तैयारी है. वहीं हाथ से चलाने वाली नाव का लाइसेंस शुल्क 650 से 1000 रुपये किया गया है. इसके साथ ही डीजल से चलने वाली नावों को पूरी तरह से बैन किया जाएगा. पर्यटकों की तेजी से बढ़ती संख्या के चलते ही नावों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. नगर निगम का एक उद्देश्य इनकी बढ़ती संख्या को काबू करना और रेगुलेट करना भी है.
फिजिकल-स्विमिंग टेस्ट
नगर निगम में इस समय करीब 1400 नाव रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 900 नाव पिछले पांच सालों में उतारी गई हैं.जबकि 500 नावों को सीएनजी में बदला गया है. टीनएजर्स और गैर पेशेवर नाविकों को दूर रखने के लिए फिजिकल और स्विमिंग टेस्ट के बाद ही लाइसेंस देने का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही अब एक परिवार एक लाइसेंस का भी नियम होगा. नगर निगम के इस नए प्रस्ताव का मांझी समाज ने विरोध किया है. मां गंगा निषादराज सेवा न्यास नाविक समाज का एक संगठन है.
नए प्रस्ताव का विरोध
अध्यक्ष प्रमोद मांझी ने कहा कि नगर निगम की मंशा नाविकों के लिए कुछ सालों से ठीक नहीं हैं. पहले क्रूज़ चलाया गया, फिर डीजल से चलने वाली मोटर बोट पर प्रतिबंध की बात कही गई और अब लाइसेंस के नए नियम और शुल्क बढ़ाने की तैयारी है. ये सारे फैसले मांझी समाज के खिलाफ हैं. नगर निगम ये न भूले कि मां गंगा के बीच धारा में उसके नियम नहीं चलते. हम नगर निगम से जुड़े हैं. क्योंकि हम जुड़े रहना चाहते हैं, लेकिन ऐसे नियम बनाए जाएंगे तो हमारा और नगर निगम का साथ मुश्किल में पड़ जाएगा. हम नए प्रस्ताव का विरोध करेंगे.