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वाधवन पोर्ट की केंद्रीय मंत्री ने की तारीफ, कहा-‘दुनिया के टॉप-10 कंटेनर पोर्ट्स में जगह दिलाएगा बंदरगाह’, अदाणी ग्रुप कर रहा डेवलप

केंद्रीय पोत परिवहन और बंदरगाह मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा कि वित्तीय राजधानी मुंबई के पास बनने वाला वाधवन बंदरगाह, भारत को वर्ष 2034 तक दुनिया के टॉप-10 कंटेनर पोर्ट्स में शामिल कराने में मदद करेगा.

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उन्‍होंने FICCI के एक कार्यक्रम में कहा, ‘महाराष्ट्र में दहानू के तट पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टन‍रशिप के तहत विकसित किया जा रहा वाधवन बंदरगाह, बहुत बड़े जहाजों को भी संभाल सकेगा. ये PPP प्रोजेक्ट, भारत को 2034 तक वैश्विक स्तर पर टॉप-10 कंटेनर बंदरगाहों में शामिल कराएगा.

बता दें कि बंदरगाह को वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड डेवलप कर रही है. ये JNPA (74% हिस्सेदारी) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (24% हिस्सेदारी) का ज्वाइंट वेंचर है.

ये ऑल वेदर पोर्ट 76,200 करोड़ रुपये की भारी-भरकम लागत से बनाया जा रहा है. पोर्ट की कुल क्षमता 298 मिलियन मीट्रिक टन/सालाना होगी. इसमें 23.2 मिलियन TEUs की कंटेनर हैंडलिंग कैपेसिटी होगी. अदाणी ग्रुप के स्‍वामित्‍व वाली ITD सीमेंटेशन इंडिया को VPPL से 1,648 करोड़ रुपये का काम मिला है.

‘पानी में पैसा है’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जलमार्गों के बिना मानव सभ्यता असंभव होगी. उन्होंने कहा कि जलमार्गों से देशों के बीच मित्रता का बंधन भी मजबूत होता है. शिपिंग ट्रेड से जुड़े बिजनेसमैन्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘पानी में पैसा है.’ उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में जलमार्ग क्षेत्र ने GDP में मदद की है.

उन्होंने कहा कि प्रमुख बंदरगाह अब सालाना 820 मीट्रिक टन माल मैनेज करते हैं, जो 2014 की तुलना में 47% ज्यादा है. बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी होकर 1,630 मीट्रिक टन हो गई है.

कई मायनों में अहम है वाधवन पोर्ट प्रोजेक्‍ट

इस पोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टन‍रशिप (PPP) के तहत डेवलप किया जा रहा है. इस बंदरगाह की क्षमता 15 मिलियन TEU होगी.

  • इस प्रोजेक्‍ट का उद्देश्‍य विश्वस्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है, जो देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा.
  • पालघर जिले के दहानू शहर के पास स्थित वाधवन बंदरगाह भारत में गहरे पानी में स्थित सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक होगा.
  • ये अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन के लिए सीधा संपर्क प्रदान करेगा, समय की बचत करेगा और लागत में भी कमी लाएगा.
  • यह बंदरगाह अत्याधुनिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और टेक्‍नोलॉजी से लैस होगा और इसकी प्रबंधन प्रणाली भी आधुनिक होगी.
  • PMO के मुताबिक, पोर्ट से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे. करीब 12 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा होने का दावा किया गया है.
  • स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलेगा और क्षेत्र के ओवरऑल आर्थिक विकास में मदद मिलने की उम्‍मीद है.

‘शिपबिल्डिंग पॉलिसी से हुए फायदे’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित कर रही है. उन्होंने कहा कि शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस पॉलिसी ने घरेलू जहाज निर्माण को प्रोत्साहित किया है, जिससे 10,500 करोड़ रुपये के ऑर्डर हासिल हुए हैं. साथ ही सप्लाई चेन और रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं.

‘दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की चाहत’

मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत, विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, अत्याधुनिक तकनीक और मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के जरिए हर वर्ष 10,000 मीट्रिक टन की क्षमता हासिल कर लेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता है.

मंत्री ने कहा कि पिछले साल एक वैश्विक समुद्री शिखर सम्मेलन में अगले 25 वर्षों में 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता के साथ 360 MoUs प्राप्त हुए थे. इसी तरह का एक कार्यक्रम इस साल अक्टूबर में आयोजित किया जाएगा.

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