बेंगलुरु: स्कूल या बिजनेस सेंटर? तीसरी क्लास की फीस पहुंची 2.1 लाख रुपए!

हमारे बच्चों का जीवन हमारे जैसा नहीं होना चाहिए. इसके लिए माता-पिता अपने बच्चों के लिए कठोर संघर्ष करते हैं और उन्हें बेहतर सुविधाएं देने की कोशिश करते हैं. बेहतर शिक्षा के लिए निजी स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं. भले ही यह उनके लिए कठिन हो क्योंकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कराना चाहते हैं. वे लाखों की फीस देकर बच्चों की जिंदगी संवारने का काम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन हाल के दिनों में निजी शिक्षण संस्थान फीस की आड़ में जबरन वसूली कर रहे हैं. साल दर साल निजी स्कूलों की फीस आसमान छू रही है. वहीं इस मामले से जुड़ा एक पोस्ट अब हर जगह घूम रहा है. एक निजी स्कूल तीसरी कक्षा के छात्र से प्रति वर्ष 2.1 लाख रुपए फीस ली.

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बेंगलुरू मेंवॉयस ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन नाम के अकाउंट पर फीस की विस्तृत जानकारी साझा की गई है. इस पोस्ट में आप ट्यूशन के लिए 1.9 लाख रुपए, वार्षिक शुल्क के रूप में 9,000 रुपए और “इम्प्रेस” के तहत 11,449 रुपये, कुल 2.1 लाख रुपए का विवरण देख सकते हैं. अब सोशल मीडिया पर इस बात पर आक्रोश है कि बेंगलुरु में थर्ड क्लास के लिए 2.1 लाख रुपए वसूले गए हैं.

लोगों ने जताया विरोध

अभिभावक संघ का आरोप है कि निजी स्कूलों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया है. स्कूलों को संविधान के अनुच्छेद 29, 30 और 19(1)(जी) के तहत संस्थान स्थापित करने का अधिकार है. उन्होंने मांग की है कि सरकार को बिना किसी खामी के सख्त नियम लागू करने चाहिए और शुल्क निर्धारण समितियां नियुक्त करनी चाहिए.

सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल

जैसे ही पोस्ट वायरल हुई, यूजर्स ने अपने विचार साझा किए है. एक यूजर ने कहा कि अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ स्कूल चलाना महंगा है. लेकिन इसका समाधान सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार करना है. एक अन्य ने कहा कि जब समाज में अमीर लोग सरकारी स्कूलों को चुनते हैं, तो उनकी गुणवत्ता में सुधार होता है.

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