नौकरी का झांसा और साइबर फ्रॉड का काम: 67 युवाओं की कहानी, जिन्हें सरकार ने लाओस से रेस्क्यू किया..

साइबर क्राइम के तरह-तरह के मामले आए दिन सामने आते हैं. कभी पैसे का लालच देकर तो कभी नौकरी का झांसा देकर लोगों को शिकार बनाया जाता है. ऐसे ही एक मामले में शिकार हुए 67 युवाओं को भारत सरकार ने लाओस से रेस्क्यू कराया है. इन युवाओं को लाओ पीडीआर के गोल्डन ट्राइंगल स्पेशल इकोनॉमिक जोन (GTSEZ) में साइबर-स्कैम सेंटर्स से बचाया गया है.

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इन युवाओं को अच्छी सैलरी वाली नौकरी का झांसा देकर लाओस ले जाया गया था. वहां इनसे जबरन साइबर फ्रॉड करया जाता था. युवाओं को GTSEZ में आपराधिक सिंडिकेट द्वारा धमकी दी जाती थी. जब इन युवाओं ने मदद की गुहार लगाई तो भारतीय दूतावास एक्शन में आया और अधिकारियों ने युवाओं से संपर्क किया.

राजदूत प्रशांत अग्रवाल ने युवाओं से मुलाकात की

दूतावास के अधिकारियों की एक टीम GTSEZ गई. वहां के अधिकारियों के साथ मिलकर जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी की. इसके बाद बोकेओ से वियनतियाने तक के लिए साधन मुहैया कराए. साथ ही युवाओं के ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम किया गया.

लाओ पीडीआर में भारत के राजदूत प्रशांत अग्रवाल ने युवाओं से मुलाकात की. उन्होंने सुरक्षा का भरोसा दिया और कहा कि भारत में उनकी सुरक्षित वापसी के लिए दूतावास का सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने उन्हें आगे की कार्रवाई के बारे में भी सलाह दी, जिसमें उन्हें धोखा देने वाले एजेंटों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की बात कही.

दूतावास के अधिकारी लाओ अधिकारियों से मिलकर युवाओं की भारत वापसी के लिए औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं. राजदूत प्रशांत अग्रवाल ने कहा, हम लाओ अधिकारियों कोफ्र उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं. हमने उनसे युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले क्रिमिनल्स के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया है. इस मामले को उच्च स्तर पर उठाया गया है. उन्होंने बताया कि दूतावास ने अब तक 924 भारतीयों को बचाया है, जिनमें से 857 को पहले ही सुरक्षित भारत वापस लाया जा चुका है.

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