मुस्लिम परिवार में पैदा होने के बावजूद इस्लाम पर यकीन नहीं है तो ऐसा शख्स शरीयत कानून मानने के लिए बाध्य होगा या फिर देश का कानून. केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर जवाब तलब किया है. सर्वोच्च अदालत ने सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.
CJI और ASG ने क्या कहा?
सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच के समक्ष एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक महिला, जो शरिया नहीं मानती, मसला उसका है. सीजेआई ने कहा कि यह सभी धर्मों पर लागू होगा. आपको एक जवाब दाखिल करना होगा, अगर हम कोई आदेश पारित करते हैं तो आपको अनुमति देने के लिए कई फॉर्म आदि होने चाहिए.
एसजी ने कहा कि सही है, मैं अपने धर्म का उल्लेख नहीं करूंगा. एसजी ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि उनकी केवल एक बेटी है और वह पूरी संपत्ति बेटी को देना चाहती हैं, लेकिन शरीयत कानून केवल 50% की अनुमति देता है.
वकील ने कहा कि भाई ऑटिस्टिक है, वह उसकी देखभाल करना चाहती है. सीजेआई ने कहा कि अगर मैं गलत नहीं हूं तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत भी, यदि आप धर्म परिवर्तन करते हैं, तो आपके अधिकार छीन लिए जाते हैं.
एसजी ने कहा कि मर्जी से नहीं. सीजेआई ने कहा कि अगर हम एक आस्था पर लागू होते हैं, तो यह सभी आस्थाओं पर लागू होगा. स्पेशल मैरिज एक्ट में भी कुछ प्रतिबंध हैं. एसजी ने कहा कि स्पेशल मैरिज में नहीं, हिन्दू मैरिज एक्ट में है.
सीजेआई ने कहा कि केंद्र को अदालत जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय देती, 5 मई, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी.