कोकराझार: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को उन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन और बढ़ती गतिविधियों का असम पर कोई असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि, बांग्लादेश में स्थिति अच्छी नहीं है. सरमा ने स्वीकार किया कि आईएसआई और अशांति फैलाने वाले बांग्लादेशी समूह का एक वर्ग फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहे हैं.
सरमा ने कहा, “हम कई गैजेट्स (सूचना प्रौद्योगिकी) के जरिए स्थिति पर नजर रख रहे हैं. ऐसी खबरें हैं कि आईएसआई और बांग्लादेशी समूह का एक वर्ग फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहा है. उनके पास असम में घुसने का कोई विकल्प नहीं है. असम की सीमा सुरक्षित है, क्योंकि सीमा के चारों ओर बाड़ लगी हुई है. हालांकि, सरमा ने कहा कि पड़ोसी देश में सत्ता परिवर्तन के बाद औसतन 10 से12 लोगों को बांग्लादेश वापस भेजा जाता है.
गौरतलब है कि, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले हजारों बांग्लादेशियों को वापस भेजा है. उल्फा के कमांडर चीफ परेश बरुआ के बारे में बात करते हुए सरमा ने कहा कि वह (बरुआ) भी शांति चाहते हैं.
सरमा ने कहा, “परेश बरुआ शांति चाहते हैं और मैं उनसे बात करता रहता हूं. मेरा मानना है कि परेश बरुआ क्षेत्र में शांति को अस्थिर नहीं करना चाहते हैं.” उन्होंने कहा कि, असम में शांति और विकास के मुद्दे का जिक्र करते हुए सरमा ने कहा कि अगले पांच साल में असम सबसे आगे होगा.
मुख्यमंत्री 27 जनवरी, 2028 को हस्ताक्षरित बोडोलैंड समझौते की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर कोकराझार में संवाददाताओं से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी. असम सीएम ने कहा कि, बोडोलैंड शांति का अग्रदूत बन गया है. उन्होंने कहा, “कम से कम 6 हजार सशस्त्र उग्रवादी मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. बोडोलैंड में अभी कोई उग्रवादी नहीं है. उन्होंने कहा, बोडो और गैर-बोडो की कहानी भी खत्म हो गई है.”