‘प्रणाम करता हूं मैं आपको…’ KBC में अमिताभ बच्चन क्यों जोड़ते हैं हाथ, जानिए वजह..

सत्तर और अस्सी के दशक में सिनेमा के बड़े पर्दे पर अमिताभ बच्चन के एंग्री, एक्शन और ढिशूं…ढिशूं… फाइट करने की स्टाइल ने अपने ज़माने में करोड़ों लोगों को दीवाना बनाया था, लेकिन अब छोटे पर्दे पर कौन बनेगा करोड़पति गेम शो में उनकी विनम्रता, मुस्कान, ठहाके और अपनापन भरे अंदाज पर एक बार फिर करोड़ों दर्शक फिदा हैं. बिग बी के प्रशंसक उनकी हाजिर जवाबी के कायल हैं. गौरतलब है कि केबीसी इन दिनों सफलतापूर्वक 25 साल पूरे होने पर सिल्वर जुबली महोत्सव मना रहा है, इसे उन्होंने ज्ञान का रजत महोत्सव नाम दिया है. केबीसी शो पैसे जीतने के खेल से कहीं ज्यादा अमिताभ बच्चन के हरदिल अजीज सेंस ऑफ ह्यूमर की वजह से करीब ढाई दशक से करोड़ों लोगों का भरपूर मनोरंजन करा रहा है. यह शो साल 2000 में शुरू हुआ था. कितना दिलचस्प है कि इस गेम शो में पैसे कोई और जीतता है लेकिन रोमांच दूसरे दर्शकों में देखने को मिलता है, जिनका प्रतियोगियों से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता. यह उपलब्धि केवल शो की सफलता नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन की पर्सनाल्टी का प्रभाव है.

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इसी केबीसी शो में अमिताभ बच्चन ने कई ऐसे शब्दों और संवाद का प्रयोग किया है, जो लोगों की जुबान पर बड़ी ही सहजता से चस्पां हो चुका हैं. कम्प्यूटर जी, कम्प्यूटर महाशय, लॉक किया जाए या ताला लगा दिया जाए जैसे शब्दों के अलावा महिला प्रतियोगियों को ‘देवी जी’ और पुरुष प्रतियोगियों को ‘महोदय’ कहना, उन्होंने अपने वार्तालाप का अभिन्न हिस्सा बना लिया है. इसी के साथ अमिताभ बच्चन हर एपिसोड में एक और पंक्ति का प्रयोग बेधड़क करते हैं, जिसका अपना अलग ही महत्व प्रतीत होता है. और वह पंक्ति है- प्रणाम करता हूं मैं आपकोsss. इस दौरान अमिताभ बच्चन बड़े ही सलीके से हाथ जोड़ते हैं और सामने वाले का सप्रेम अभिवादन करते हैं. यह दृश्य देखने लायक होता है. अमिताभ बच्चन का स्वागत करने और आभार प्रकट करने की मुद्रा किसी का भी दिल जीत ले सकती है.

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अमिताभ बच्चन ‘प्रणाम’ करना कभी नहीं भूलते

दिलचस्प बात ये कि सामने वाली की उम्र चाहे जितनी भी हो. शायद ही ऐसा कभी मौका आता है जब वहां अमिताभ बच्चन से ज्यादा उम्र के लोग दिखते हों लेकिन अमिताभ सबके सामने हाथ जोड़कर कहते हैं- प्रणाम करता हूं मैं आपकोsss. सामने वाला व्यक्ति सदी के महानायक को हाथ जोड़कर प्रणाम बोलने पर खुद को धन्य समझता है. हॉट सीट पर बैठने वाले हरेक प्रतियोगी अपने साथ परिवार के सदस्य या दोस्त में से किसी ना किसी को लेकर आते हैं या लाइफलाइन के तौर पर वीडियो कॉल करते हैं. प्रतियोगी के कंपेनियन से परिचय के दौरान अमिताभ के दोनों हाथ तुरंत एकजुट हो जाते हैं और वो बोलते हैं- प्रणाम करता हूं मैं आपकोsss बहुत-बहुत स्वागत है आपका, आभार प्रकट करता हूं मैं आपका. इसी तरह वीडियो कॉल पर दूसरी तरफ से बात करने वाले शख्स को भी अमिताभ हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं, स्वागत करते हैं. अक्सर इस दौरान सामने वाला शख्स उनसे उम्र में काफी छोटा है लेकिन अमिताभ प्रणाम करना नहीं भूलते.

किसी भी उम्र की महिला को ‘माताजी’ कहते हैं

यहां तक कि हॉट सीट पर बैठे प्रतियोगी अगर अपने साथ अपनी मां को लेकर आए होते हैं तो अमिताभ बच्चन परिचय के वक्त उनके आगे हाथ जोड़कर उनको ‘माता जी’ कहकर संबोधित करते हैं. इस दौरान कई बार प्रतियोगी की मांएं मुस्करा कर झेंप जाती हैं तो वह भी उसी अंदाज में हास्य-विनोद विखेरती हुईं अभिवादन का जवाब देती हैं. लेकिन हाल ही एक एपिसोड में एक अनोखा वाकया भी हो गया था. एक प्रतियोगी की मां ने अमिताभ बच्चन से संकोच करते हुए कह दिया- सर, कृपया आप मुझे ‘माता जी’ ना कहें. यह अच्छा नहीं लगता. फिर मुस्कराने लगीं. अमिताभ उस महिला का आशय समझ गए. महिला की उम्र संभवत: पचास के आस-पास की रही होगी. अमिताभ बच्चन ने तुरंत उस महिला को ‘माता जी’ के बजाय ‘देवी जी’ कहना शुरू कर दिया.

प्रणाम करके संस्कार और अपनापन दिखाते हैं

हाथ जोड़कर प्रणाम करना भारतीय परंपरा और संस्कार की निशानी है. और यह प्रभाव केवल भारत या भारतीय उप-महाद्वीप तक सीमित नहीं है. इसमें प्राचीनता और आधुनिकता दोनों भाव निहित है. हम जब भी किसी व्यक्ति के साथ पहली बार आमने-सामने होते हैं तो हाथ जोड़कर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं. कोई हैरत नहीं कि हममें से बहुत से लोग इस संस्कार को भूल चुके हैं और उसे हाय, हेलो में तब्दील कर चुके हैं. लेकिन अमिताभ बच्चन ने केबीसी में इसका लगातार प्रयोग करके उस संस्कार और परंपरा को जीवंत रखा है और आगे भी बढ़ाया है. अगर अमिताभ की जगह दूसरे कलाकार होते तो संभव है वो वेकलम टू द केबीसी शो… कह देते, लेकिन अमिताभ बच्चन ने इसे अपना-सा स्पर्श दिया और इस संस्कार को नई ऊंचाई पर भी पहुंचाया. इसी के साथ अमिताभ पूरी शालीनता से आभार भी व्यक्त करते हैं.

जब प्रणाम करने का अंदाज हुआ ग्लोबल

गौरतलब है कि हाथ जोड़ने का सलीका सायास नहीं बल्कि अनायास भी है. कोविड के दौर को याद कीजिए. दुनिया भर में सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जा रहा था. हाथ मिलाने की मनाही थी. कोरोना वायरस फैसले का खतरा था. ऐसे में दुनिया भर के तमाम बड़े मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों को सम्मेलनों में मास्क लगाने के साथ-साथ एक-दूसरे के आगे हाथ जोड़कर अभिवादन करते देखा गया. इसमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, इटली, ऑस्ट्रेलिया, जापान सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल थे. वे चाहते तो अभिवादन की दूसरी मुद्रा भी अपना सकते थे लेकिन उन्होंने हाथ जोड़े. यहीं पर हाथ जोड़ने की परंपरा का वैश्विक रूप भी देखने को मिला. अमिताभ का केबीसी शो दुनिया में जहां-जहां देखा जाता है- वो हाथ जोड़कर प्रणाम करने के अपने अनोखे अंदाज को ग्लोबल बनाते हैं.

धीरे-धीरे देशज होता गया अमिताभ का लहजा

केबीसी जब साल 2000 में शरू हुआ तब इसके शुरुआती कई एपिसोड्स को देखें या किसी अन्य फिल्मों के प्रमोशन के दौरान उनकी बातचीत का वीडियो वॉच करें, आज एक अंतर साफ दिखता है. तकरीबन दो-ढाई दशक पहले अमिताभ बच्चन की बातचीत करने का लहजा एकदम महानगरीय था, लेकिन अब उनका लहजा बदल चुका है. अस्सी के दशक में तो उनके बारे में एक तथ्य यह भी है वो मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे लेकिन आज की तारीख में बिग बी अत्यंत मीडिया फ्रेंडली हैं. सोशल मीडिया पर एकदम सक्रिय रहते हैं और अधिकतम समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार तुरंत व्यक्त करते हैं. अमिताभ पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा उदार हो चुके हैं. वार्ता करने के उनके लहजे में देशज अवधिया का पुट खूब देखने को मिलता है. केबीसी के सेट पर भी अमिताभ अपनी अवधिया देशजता का बखूबी प्रयोग करते हैं और इस प्रकार आम से आम लोगों के दिलों के करीब हो जाने का प्रयास करते हैं. उनके प्रणाम करने के अंदाज में भी यही देशज सलीका उनको सबसे अलग और अनोखा बनाता है.

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