एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटाया, किन्नर अखाड़े से भी निष्कासित

संगम नगरी प्रयागराज में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. ममता कुलकर्णी को अब महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया है. साथ ही अखाड़े के लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से भी आचार्य महामंडलेश्वर पद छीन लिया गया है. दोनों को किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है.

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महाकुंभ में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने कुछ दिन पहले संन्यास की दीक्षा ली थी. संन्यास लेने के बाद ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाया गया था, जिसका जमकर विरोध हुआ और किन्नर अखाड़े में बड़ी कलह शुरू हो गई थी.

बाबा रामदेव ने उठाए थे सवाल

ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कई संत नाराजगी जता चुके हैं. उनके मुताबिक, ऐसे प्रतिष्ठित पद के लिए सालों के आध्यात्मिक अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है. फिर कैसे ममता को एक ही दिन में महामंडलेश्वर चुन लिया गया. बाबा रामदेव ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा- कुछ लोग, जो कल तक सांसारिक सुखों में लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गए हैं, या महामंडलेश्वर जैसी उपाधि प्राप्त कर ले रहे हैं.

क्या बोले धीरेन्द्र शास्त्री?

इसके अवाला धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा, ‘किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव में आकर किसी को भी संत या महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है? हम खुद अभी तक महामंडलेश्वर नहीं बन पाए हैं.’ ट्रांसजेंडर कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी ने भी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई थी. ANI को दिए एक स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, ‘किन्नर अखाड़ा ने ऐसा सिर्फ पब्लिसिटी के लिए किया है. समाज को उनका पास्ट अच्छे से पता है. अचानक से वो भारत में आती हैं और महाकुंभ में चली आती हैं और उनको महामंडलेश्वर का पद दे दिया जाता है. इसकी जांच होनी चाहिए.’

महामंडलेश्वर बनने पर क्या बोलीं ममता?

24 जनवरी की शाम को प्रयागराज, महाकुंभ में ममता ने संगम पर अपना पिंडदान किया. फिर किन्नर अखाड़े में उनका पट्टाभिषेक हुआ. आजतक से बातचीत में ममता ने महामंडलेश्वर पद मिलने पर कहा था- ये अवसर 144 सालों बाद आया है, इसी में मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया है. ये केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं. मैंने किन्नर अखाड़ा ही इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं है, ये स्वतंत्र अखाड़ा है. जीवन में सब चाहिए आपको. एंटरटेनमेंट भी चाहिए. हर चीज की जरूरत होनी चाहिए. ध्यान ऐसी चीज है, जो भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है. सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था फिर उनमें परिवर्तन आया.”

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