दिल्ली चुनावः सुब्रमण्यम स्वामी ने वोट कर बता दिया किसे दिया, पूर्व IAS ने कहा- ये नियमों के खिलाफ

केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में नई सरकार चुनने के लिए जारी मतदान के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की एक एक्स पोस्ट से विवाद खड़ा हो गया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर ये जानकारी दी कि सुबह सात बजे ही पत्नी के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतदान किया. उन्होंने अपनी इसी पोस्ट में ये भी बता दिया कि किसे वोट किया है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी केबीएस सिद्धू ने मतदान से संबंधित नियमों के खिलाफ बताया है.

सुब्रमण्यम स्वामी ने की एक्स पोस्ट क्या

सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि सुबह सात अपनी पत्नी के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचा और अपना वोट दिया, बीजेपी के लिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी लिखा कि चुनाव आयोग ने स्क्रूटनी और एफिशिएंसी के साथ मतदान के इंतजाम किए हैं. उन्होंने यह भी लिखा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराकर बीजेपी की जीत की उम्मीद कर रहा हूं.

सिद्धू ने बताया किन नियमों का उल्लंघन

पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव केबीएस सिद्धू ने स्वामी की एक्स पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए इसे नियमों का उल्लंघन बताया है. केबीएस सिद्धू ने कहा है कि मतदान संचालन नियम 1961 के नियम 39 के तहत मतदाता को सार्वजनिक रूप से अपनी चॉइस बताने की मनाही है. किसी पब्लिक फिगर का इस तरह से वोटिंग के दिन अपना वोट बता देना मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास की तरह है.

उन्होंने इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए कहा कि मतदान के दिन और उससे एक दिन पहले, 48 घंटे का साइलेंट पीरियड होता है और इस दौरान सोशल मीडिया समेत मतदाताओं को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से प्रभावित करने के प्रयासों की सख्त मनाही है. मतदान के दिन इस तरह की पोस्ट इसका उल्लंघन है.

केबीएस सिद्धू ने नियमों और उनके प्रावधानों का उल्लेख किया ही है, ये भी बताया है कि किस नियम के उल्लंघन के लिए कितनी सजा हो सकती है. उन्होंने एक्स पर ही लिखा है कि गुप्त मतदान के नियम के उल्लंघन के लिए सेक्शन 128 के तहत तीन महीने की जेल या जुर्माने की सजा हो सकती है. साइलेंट पीरियड के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट पर चुनाव आयोग ने पहले भी एक्शन लिए हैं. दूसरी राजनीतिक पार्टियां या अथॉरिटीज जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 129 या आईपीसी की धारा 188 के तहत केस भी कर सकते हैं.

 

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