गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा में मिल रहा माइक्रोप्लास्टिक, बच्चे को हो रहा नुकसान..

आजकल हमारे आसपास प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है, चाहे खानेपीने की चीज़ें हों, पानी की बोतलें हों या फिर कोई और सामान सबकुछ में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्लास्टिक हमारी सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहा है. प्लास्टिक धीरे-धीरे टूटकर बहुत छोटे-छोटे कणों में बदल जाता है, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं.

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ये कण हवा, पानी और खाने के जरिए हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं. यहां तक कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर भी इसका असर पड़ रहा है. हाल ही में हुई एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा (गर्भनाल) में भी ये माइक्रोप्लास्टिक पाया जा रहा है. जो मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

माइक्रोप्लास्टिक क्या है और यह शरीर में कैसे पहुंचता है?

माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के बहुत छोटे-छोटे कण होते हैं, जो आंखों से दिखते भी नहीं हैं. यह हमारे खानेपीने की चीजों, पानी और यहां तक कि हवा में भी मौजूद होते हैं. इसके छोटे-छोटे कण शरीर में जा रहे हैं. गर्भवती महिलाओं के शरीर में जब ये पहुंचते हैं, तो प्लेसेंटा के जरिए उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंचा रहा है. गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या असर पड़ सकता है?

बच्चे के विकास में रुकावट

प्लेसेंटा वह अंग होता है, जो मां से बच्चे तक पोषण और ऑक्सीजन पहुंचाता है, लेकिन प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण यानी माइक्रोप्लास्टिक गर्भवती महिला के शरीर में पहुंचता रहता है. इससे बच्चे का संपूर्ण विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है, जिससे बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है.

हार्मोनल असंतुलन

प्लास्टिक में ऐसे केमिकल होते हैं, जो हार्मोन्स को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है.

कमजोर इम्यूनिटी

माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम हो सकती है, जिससे उसे जन्म के बाद बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है.

कम वजन

हाल ही आई नई स्टडी में खुलासा हुआ कि माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने वाले नवजात बच्चों का वजन सामान्य से कम हो सकता है.

स्वास्थ्य समस्याएं

माइक्रोप्लास्टिक के कारण बच्चों में अस्थमा, एलर्जी और मानसिक विकास से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बढ़ सकता है.

माइक्रोप्लास्टिक से कैसे बचे?

माइक्रोप्लास्टिक से बचने के लिए हमें कई तरह के उपाय अपनाने चाहिए. इससे गर्भवती महिलाएं और आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रह सकती हैं. जैसे प्लास्टिक के बर्तनों और बोतलों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. खानेपीने के लिए प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए.

खाना ताजा और नेचुरल खाएं

खाना हमेशा ताजा और नेचुरल खाना चाहिए. प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड में भी माइक्रोप्लास्टिक हो सकता है, इसलिए घर का बना ताजा खाना खाएं.

शुद्ध पानी पीएं

पानी को अच्छे फिल्टर से छानकर पिएं ताकि उसमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक को हटाया जा सके. घड़े में पानी रखकर पीना चाहिए.

प्रदूषण से बचें

धूल और गंदगी में माइक्रोप्लास्टिक के कण हो सकते हैं, इसलिए सफाई का ध्यान रखें और बाहर निकलते समय सावधानी बरतना चाहिए.

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