सितारवादक अनुष्का शंकर और PETA ने श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को भेजा चक्के पर चलने वाला हाथी, ये है वजह

दुनिया की मशहूर सितारवादक और 2025 में दो बार ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नामांकित अनुष्का शंकर और PETA इंडिया ने केरल के त्रिशूर के कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को एक चक्के पर चलने वाला हाथी दान किया है. ये मैकेनिकल हाथी तीन मीटर लंबा और 800 किलोग्राम वजनी है जिसे बुधवार को कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को दान किया गया.

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पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने इससे पहले अपने बयान में कहा था कि कोम्बारा कन्नन नाम का तीन मीटर लंबा मैकेनिकल हाथी मंदिर को दान किया जाएगा क्योंकि मंदिर ने आगे कभी भी असली हाथियों को किसी भी कार्य में इस्तेमाल ना करने की प्रतिबद्धता जताई थी.

इसलिए गिफ्ट किया गया हाथी

Peta india की वेबसाइट के अनुसार, इस हाथी का नाम कोम्बारा कन्नन है. इस हाथी को मंदिर के उस निर्णय के सम्मान में दिया गया है जिसमें मंदिर प्रशासन ने कभी भी किसी भी कार्य के लिए कोई असली हाथी ना खरीदने और ना किराये पर लेने का निर्णय किया है.

चक्के पर चलने वाले हाथी कोम्बारा कन्नन का एक समारोह में प्रदर्शन भी किया गया. इसका अनावरण उन्नायी वरियार मेमोरियल कलानिलयम के सचिव सतीश विमलन ने किया. बताया गया है कि इस हाथी का इस्तेमाल मंदिर में सुरक्षित और क्रूरता-मुक्त तरीके से समारोह आयोजित करने के लिए किया जाएगा जिससे असली हाथियों को जंगल से उनके परिवारों से दूरकर यहां लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

अनुष्का शंकर ने किया धन्यवाद

वेबसाइट में छपे अनुष्का शंकर के बयान के अनुसार, ‘मैं पेटा इंडिया के साथ मिलकर कोम्बारा कन्नन नामक एक अद्भुत हाथी को कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को दान करने को लेकर उत्साहित हूं. कोम्बारा कन्नन ने भक्तों, खासकर बच्चों के दिलों को छू लिया है क्योंकि वह मंदिर की आवश्यकताओं के अनुसार काम कर सकता है लेकिन ये अकेला, प्यासा, भूखा या परेशान महसूस नहीं करता. कोम्बारा कन्नन जैसे मैकेनिकल हाथियों को मंदिरों में लाकर हम असली हाथियों को उनके मूल निवास स्थान में अपने परिवारों के साथ जिंदगी बिताने में मदद कर सकते हैं.’

अनुष्का शंकर को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में 2 फरवरी 2025 को आयोजित ग्रैमी में दो अवॉर्ड्स के लिए नामांकित किया गया था.

पेटा की अपील, हाथियों पर अत्याचार बंद हो
हाथी बुद्धिमान, सक्रिय और मिलनसार जंगली जानवर हैं. उन्हें कैद में मारपीट, हथियारों और बल के इस्तेमाल के जरिए जुलूसों में इस्तेमाल करने के लिए ट्रेन किया जाता है. मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाए गए ज्यादातर हाथियों को घंटों जंजीरों से बांधे रखने के कारण उनके पैरों की हालत खराब हो जाती है और उन्हें कई घावों से जूझना पड़ता है.

ज्यादातर को ठीक से भोजन, पानी, देखभाल और प्राकृतिक जंगल के जनजीवन से महरूम रहना पड़ता है. इन नरक जैसी परिस्थितियों में कई हाथी बेहद निराश हो जाते हैं और इंसानों पर हमला करने लगते हैं. कभी-कभी वो महावतों, लोगों या दूसरे जानवरों को मार देते हैं. हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स के आंकड़ों के अनुसार, केरल में 15 साल की अवधि में बंदी हाथियों के हमले में करीब 526 लोगों की मौत हुई थी.

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