हाथ-पैर बांधकर वापस भेजे गए भारतीय नागरिक, अमेरिकी दूतावास बोला- इन एलियंस को…

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता को संभालते ही अमेरिका में अवैध प्रवासी घोषित किए गए 104 भारतीय नागरिकों को भारत वापस भेज दिया गया है. अमेरिकी सेना के खास विमान में इन सभी भारतीयों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर भारत लाया गया. विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर की गई. अमेरिका से भारतीय नागरिकों को इस तरह से वापस भेजना भारत में बहस का मुद्दा बना हुआ है. विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हैं. इसी बीच नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की ओर से अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीय नागरिकों को लेकर बयान जारी किया है.

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अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि, जो भी अमेरिका में अवैध तरीके से घुसेगा, उसे वापस भेज दिया जाएगा. दूतावास ने कहा कि, अमेरिका में इमिग्रेशन कानूनों को लागू करना राष्ट्रीय सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.

अमेरिकी दूतावास के बयान में डोनाल्ड ट्रंप की तरह अवैध प्रवासियों को ‘एलियंस’ कहकर संबोधित किया गया. बयान में कहा गया कि, इन अवैध एलियंस (प्रवासियों) को देश से निकालने के लिए इमिग्रेशन कानूनों का ईमानदारी से पालन करना अमेरिकी की नीति है.

अमेरिका के मिलिट्री प्लेन से भारत आने वाले कुल 104 भारतीय नागरिकों में 79 पुरुष और 25 महिलाएं और 13 बच्चे भी शामिल हैं. बुधवार को दोपहर 1.59 बजे यह प्लेन अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हो गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका से वापस भेजे गए इन भारतीयों को मेक्सिको-अमेरिकी सीमा से पकड़ा गया था. कहा जा रहा है कि ये भारत से वैध तरीके से रवाना हुए थे लेकिन इन्होंने डंकी रूट के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश की थी.

विवादों में ट्रंप का सैन्य विमान से प्रवासियों को वापस भेजने का फैसला

अमेरिका में चुनाव जीतने के बाद से ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासन के मामले में कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. ट्रंप यह बात लगातार कह रहे हैं कि, अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर न भेजकर वह उन्हें जल्द से जल्द उनके देश वापस भेजना चाहते हैं. पिछले साल दिसंबर में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा था कि, वह नहीं चाहते हैं कि यह अवैध प्रवासी हमारे यहां 20 सालों तक कैंपों में रहें. ट्रंप ने कहा था कि, वह इन सभी लोगों को उनके देश वापस भेजेंगे और इन देशों को अपने नागरिकों को वापस लेना भी होगा.

खास बात है कि, अमेरिका में अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने के लिए कभी सैन्य विमानों का इस्तेमाल नहीं किया गया था. ऐसा करना सिविल प्लेन के मुकाबले कई गुना महंगा भी पड़ता है. इसके बावजूद भी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खर्च की चिंता नहीं की. उन्होंने अमेरिकी आर्मी के विमानों से ही अवैध प्रवासियों को वापस भेजना बेहतर समझा. यूएस आर्मी के विमान अभी तक भारत समेत ग्वाटेमाला, पेरू, हैंडर्स और इक्वाडोर तक अवैध प्रवासियों को छोड़ने जा चुके हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि, अवैध प्रवासियों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर वापस भेजकर ट्रंप दुनिया को संदेश देना चाहते हैं कि वह अवैध प्रवासन के मामले में बहुत सख्त हैं. अब सिविल विमानों से अवैध प्रवासियों की वापसी बेशक ट्रंप सरकार के लिए कम खर्च में पड़ रही हो लेकिन उसका प्रभाव कम रहेगा.

वहीं अगर अमेरिकी सेना के विमानों से प्रवासियों को उनके देश वापस भेजा जाता है तो यह काफी ज्यादा प्रभावशाली होगा. अमेरिका का कड़ा संदेश पूरे विश्व को जाएगा कि अगर उनके देश में कोई अवैध घुसपैठ करता है तो उसका क्या हाल हो सकता है.

कुछ दिनों पहले ट्रंप ने कहा था कि, इतिहास में ऐसा पहली बार है कि जब अमेरिका सरकार इन ‘अवैध एलियंस’ को सेना के विमानों में भरकर वापस भेज रही है. सालों से जो लोग हमें मूर्ख लोग समझकर हंस रहे थे, अब वह फिर से हमारा सम्मान करना शुरू कर देंगे.

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप का अवैध प्रवासियों को इस तरह से वापस भेजने का फैसला विवादों में जरूर है. कोलंबिया समेत कई देशों ने ट्रंप के इस फैसले पर नाराजगी भी जताई. कोलंबिया ने ट्रंप सरकार का यह फैसला न मानते हुए नागरिकों को वापस लेने के लिए अपने सिविल विमानों को अमेरिका भेजा. कोलंबिया ने साफ कह दिया कि वह नहीं चाहता है कि यूएस आर्मी के विमान से उनके नागरिक वापस आएं. कोलंबिया ने अपने सिविल विमानों को अमेरिका भेजा जिसमें सम्मान के साथ उसके नागरिक देश वापस आए.

भारतीयों की अमेरिका से इस तरह से वापसी को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रही हैं. समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव से लेकर शशि थरूर तक, कई नेताओं ने इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

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