ग्वालियर संभाग में हर महीने 25 हजार ‘मुर्दे’ आते हैं गेहूं-चावल लेने! सरकार की जांच में हुआ ये खुलासा
Ration Scam: मध्यप्रदेश के ग्वालियर संभाग में करीब 25 हजार ऐसे लोग नियमित तौर पर राशन ले रहे हैं जिन्हें इस दुनिया को ही अलविदा कहे सालों बीत गए हैं. चौंकिए नहीं…’मुर्दों’ के द्वारा राशन लेने का घालमेल खुद खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की जांच में सामने आया है. विभाग की जांच में सामने आया है कि ग्वालियर संभाग में सबसे ज्यादा मुरैना और फिर ग्वालियर में मरे हुए लोग राशन ले रहे हैं. अकेले ग्वालियर में ये संख्या 4 हजार 841 है, जिससे विभाग को हर महीने 7.79 लाख रुपये की चपत लग रही है. इससे विभाग को हर महीने 242 क्विंटल गेहूं-चावल का नुकसान हो रहा है.
कैसे हुआ इस PDS घोटाले का पर्दाफाश?
ग्वालियर संभाग में हुए इस घोटाले ने खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को करोड़ों रुपये की चपत लगाई है. सवाल ये है कि आखिर ये घालमेल कैसे हो रहा है. आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं किस जिले में कितने मरे हुए लोगों के नाम पर राशन का उठाव हो रहा है.
दरअसल कुछ दिन पहले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने प्रदेश के 3 लाख 13 हजार 441 लोगों के निधन के बाद उनके नाम पर जारी आधार कार्ड को निरस्त कर दिया था. इसी सूची के आधार पर खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण ने सभी जिलों को जांच का जिम्मा सौंपा है. मृतकों के नाम हटने के बाद जिले में पात्रता पर्ची का इंतजार कर रहे 12203 लोगों को फायदा होने की उम्मीद है.
कहां-कितना मिलता है राशन
बता दें कि राशन दुकानों से राशन लेने के पात्र परिवार क़े एक सदस्य को हर महीने में 161 रुपए का राशन मिलता हैं. अकेले ग्वालियर जिले में 2,83,350 राशन कार्ड हैं, इनमें से पीले अर्थात अंत्योदय कार्ड 21,101 (7.5%) हैं. इन्हें परिवार के आधार पर 35 किलो राशन मिलता है. जबकि प्राथमिकता कार्ड 2,62,134 (95%) हैं. इन पर सदस्यों के हिसाब से राशन दिया जाता है. भारत सरकार की आर्थिक लागत दर के मुताबिक गेहूं का भाव 27 और चावल का 40 रुपए प्रति किलो तय है. इस हिसाब से एक सदस्य को ₹161 का राशन फ्री मिलता है. इसमें नमक की मात्रा एक किलो फिक्स है.
जिम्मेदारों ने कहा- जल्द होगी जांच पूरी
मामले में जिम्मेदार अफसरों से बात की तो उन्होंने बस यही कहा कि वे इसमें तेजी लाएंगे. जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी विपिन श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने सूची को दुकान वार छांटकर दे दिया है. इसमें सत्यापन कराया जा रहा है कि किस घर का कौन सदस्य अब इस दुनिया में नहीं है. उनका नाम पोर्टल से हटा देंगे.नगर निगम आयुक्त संघप्रिय का भी कहना हैं कि वे इस काम मे तेजी लाएंगे ताकि फर्जी तौर पर राशन लेने का यह सिलसिला बंद हो. यहाँ बता दें कि UIDAI ने मप्र के 3.13 लाख मृतकों के आधार निरस्त किए हैं. संस्था ने इसकी सूची राज्य शासन को भेजी गई थी. अब इसको जिलों में भेजा गया तो यह राशन घोटाला उजागर हुआ. हालांकि नियमों के मुताबिक सदस्य संख्या की समीक्षा नियमित तौर पर खाद्य विभाग को करना चाहिए.