संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आज यानि शुक्रवार को 27वां दिन है, अभी इसका आयोजन 19 दिन तक और होना है. 26 फरवरी को महाकुंभ का अंतिम दिन है. नागा साधुओं के तीनों अमृत स्नान भी पूरे हो चुके हैं. जिसके बाद नागा साधु वापसी करने लगे है. गुरुवार को कुछ अखाड़ों के नागा साधुओं ने यहां से प्रस्थान कर लिया है. जबकि, कुछ अखाड़े के नागा 12 फरवरी से प्रस्थान करेंगे. वहीं, कुछ अखाड़ों के साधु बसंत पंचमी के स्नान के बाद ही चले गए थे. 7 अखाड़ों के नागा साधु अब सीधे काशी विश्वनाथ जाएंगे.
बताया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के चलते 7 अखाड़ों के नागा काशी विश्वनाथ जाएंगे. यहां पर वे 26 तारीख यानी महाशिवरात्रि तक अपना डेरा जमाएंगे. इसके बाद वे अपने-अपने अखाड़ों में वापस लौटेंगे. महाशिवरात्रि के मौके पर नागा बनारस में शोभायात्रा निकालेंगे, मसाने की होली खेलेंगे और गंगा स्नान करेंगे. यानि तीन कार्य पूरा करने के बाद नागा वापसी कर लेंगे.
महाकुंभ और नागा साधु
नागा साधु सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ हमेशा साधना में लीन रहते हैं. यह जंगलों, पहाड़ों में तपस्या करते पाए जाते हैं. मगर जब कुंभ मेला आता है तो सभी नागा साधु और संत उस ओर निकल पड़ते हैं. वे अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को था. इस दिन मकर संक्रांति थी. वहीं दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या और तीसरा बसंत पंचमी पर था.
तीनों शाही स्नान खत्म होते ही आगे बढ़े
साधु-संतों के लिए अमृत स्नान काफी अहम होता है. ऐसी मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बाराबर का पुण्य मिलता है. महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं. आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा अपने आखाड़ों की ओर बढ़ने लगते हैं.
अब यहां पर दिखेंगे नागा साधु
नागा साधु महाकुंभ के वक्त एकत्र होंगे. अब यह अगले महाकुंभ यानि वर्ष 2027 में नासिक होने वाले मेले में नजर आएंगे. नासिक में महाकुंभ का आयोजन गोदावरी नदी के किनारे पर होगा. यहां पर हजारों नागा साधु एक साथ एकत्र होंगे.