सुल्तानपुर: सुल्तानपुर शहर से महज 3 किलोमीटर दूर रायबरेली-बलिया हाइवे पर स्थित कांशीराम कॉलोनी में रहने वाले लोगों की जिंदगी नर्क बनी हुई है. एक दशक से अधिक समय से यहां की 5 हजार की आबादी गंदगी और कीचड़ के बीच जीने को मजबूर है. स्वच्छ भारत अभियान की सारी बातें यहां धरी की धरी रह गई हैं. बसपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा हर जिले में बनवाई गई कांशीराम कॉलोनियों में से सुल्तानपुर में दो कॉलोनियां बनीं. आरटीओ ऑफिस के सामने वाली कॉलोनी की स्थिति तो ठीक है, लेकिन अमहट पार्क के सामने स्थित कॉलोनी की हालत बेहद खराब है.
यहां 75 ब्लॉक में करीब 900 आवास हैं, जिनका आवंटन 2012 में हुआ था. स्थानीय निवासी आरके मौर्या के अनुसार, कॉलोनी की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी की है. मुख्य मार्ग से लेकर सभी ब्लॉक के सामने नालियों का पानी सड़कों पर जमा रहता है. इससे साल भर कीचड़ और बदबू का माहौल बना रहता है. मुश्ताक अहमद ने बताया कि नाले की व्यवस्था न होने से चारों तरफ का पानी कॉलोनी में जमा हो जाता है. कीचड़ में फिसलकर लोग घायल होते रहते हैं।नगरपालिका की लापरवाही का आलम यह है कि सफाई कर्मचारी साल भर तक नालियों की सफाई नहीं करते. बरसात का पानी निकासी के लिए खोदे गए गड्ढे कूड़े से पट चुके हैं। स्थानीय निवासी शमीमुन निसा के अनुसार, हर चुनाव में नेता वोट के लिए नाली बनवाने का वादा करते हैं, लेकिन काम कुछ नहीं होता.
स्वच्छता की सारी योजनाएं यहां विफल साबित हो रही हैं और लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि कॉलोनी न तो नगर पालिका और न ही ग्राम सभा को हैंड ओवर हुई है. कई बार इसके लिए मांग हुई लेकिन अधिकारियों ने झूठे आश्वासन दिए. खासकर चुनाव बहिष्कार पर मनाने आए अधिकारी हवा-हवाई वादा कर चले गए. नेता यहां पांच साल में एक बार वोट मांगने आते हैं और फिर उनके ठेकेदार वोट दिलवाकर गायब हो जाते हैं.