अब शेयर बाजार (Stock Market) के निवेशकों के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है. सितंबर- 2024 से जो गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ, वो थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस गिरावट के क्या कारण हैं? अब बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भी नहीं बता पा रहे हैं. जानकार कहते हैं कि दो दशक में कई बार बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिले. लेकिन इस तरह का माहौल नहीं था.
इस बीच मंगलवार को शेयर बाजार में भारी गिरावट के बीच सेंसेक्स 1200 से ज्यादा अंक टूट गया, जबकि निफ्टी 370 अंक तक फिसल गया. इस गिरावट से BSE का मार्केट कैप में करीब 10 लाख करोड़ रुपये घट गए. यानी निवेशकों का 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गया.
बाजार क्यों नहीं चल रहा?
दरअसल, कोरोना काल के दौरान भी बाजार में भूचाल आया था, लेकिन कुछ महीनों में भी बाजार फिर ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया. जबकि इस समय बाजार बिल्कुल उल्टी चाल से चल रहा है. अच्छी खबर पर भी बाजार रिएक्ट नहीं कर रहा है. पहले कहा जा रहा था कि बजट के बाद बाजार में तेजी आएगी, लेकिन बजट भी पेश हो गया, आयकर में लोगों को बड़ी छूट भी मिल गई. लेकिन इसे पॉजीटिव लेने के बजाय बाजार ऊपर से फिसल गया.
इससे पहले सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक (RBI) तीन चरणों में 60 हजार करोड़ के गवर्मेंट सिक्योरिटीज को ओपन मार्केट में ऑक्शन करने का ऐलान किया. 20,000 करोड़ रुपये के 3 चरणों में ये ऑक्शन होगा. इसका भी बाजार पर कोई पॉजीटिव असर नहीं हुआ.
उसके बाद लगा कि अगर आरबीआई रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती करता है, तो उसका असर बाजार पर होगा, पिछले हफ्ते आरबीआई ने रेपो रेट 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया. 5 साल के बाद रेपो रेट में हुई कटौती पर भी बाजार ने निगेटिव रिएक्ट किया.
रिटेल निवेशकों में हाहाकार
दरअसल, इस गिरावट में छोटे निवेशकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है. जब इंडेक्स 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है तो फिर स्मॉल कैप और मिडकैप शेयरों में भूचाल आना स्वाभाविक है. स्मॉल कैप कैटेगरी के तमाम शेयरों के भाव आधे हो चुके हैं, जबकि मिडकैप शेयरों में 50 फीसदी की गिरावट आम बात हो गई है. सरकारी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली देखी जा रही है. बाजार कहीं भी सपोर्ट लेता नहीं दिख रहा है.
बता दें, निफ्टी का ऑल टाइम हाई 26277 अंक है, जहां से इंडेक्स फिसलकर 23000 के पास पहुंच गया है, यानी करीब 14 फीसदी टूट चुका है. जबकि सेंसेक्स 76000 अंक को टच करने वाला है. सेंसेक्स हाई से करीब 12000 अंक टूट चुका है. ऐसे में कोविड के बाद से निवेश की शुरुआत करने वाले तमाम रिटेल निवेशकों की कमाई पर ग्रहण लग चुका है. यानी पिछले 2 से 3 साल में जितनी कमाई हुई, वो सब 4 महीने में ही साफ हो चुका है.
डोनाल्ड ट्रंप ने भी दिया झटका
यहीं नहीं, तमाम ऐसे रिटेल निवेशक भी हैं, जिनका पोर्टफोलियो एक समय 30 फीसदी तक प्रॉफिट में था, वो अब नुकसान में आ चुके हैं. ऐसे में धैर्य जवाब देना लाजिमी है. हर कोई अब यही कह रहा है कि बाजार क्यों इतना गिर रहा है?
जहां तक गिरावट के कारण हैं तो मुख्यतौर पर विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से मोहभंग है, वो लगातार बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार संभल नहीं पा रहा है. इसके अलावा रुपये के मुकाबले डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है, जिससे सेंटीमेंट और बिगड़ा है. दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप लगातार टैरिफ को लेकर दुनिया को धमकी दे रहे हैं, जिसका असर बाजार पर साफ दिख रहा है. साथ ही तीसरी तिमाही के नतीजे भी बाजार को परेशान कर रहा है.
इस बीच जहां एक ओर भारतीय बाजार में कोहराम मचा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी बाजार में तेजी का माहौल है. कुछ मिलाकर देखें तो डोमेस्टिक हालात अच्छे होने के बावजूद भी भारतीय बाजार में भगदड़ जैसा माहौल है. जानकार बता रहे हैं कि जब तक विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार के प्रति विश्वास नहीं लौटता, तब तक बाजार में यही माहौल रह सकता है.