अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 को रिलीज हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन इसकी चर्चा आज भी हो रही है. अल्लू को फिल्म के लिए खूब तारीफें मिलीं, लेकिन फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा का दावा है कि एक प्रॉमिनेंट प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को ये किरदार पसंद नहीं आई थी. उनका कहना था कि इसके चेहरे पर तो नॉर्थ में उल्टी करेंगे लोग. रामू के मुताबिक अब जबकि फिल्म सुपर डुपर हिट हो चुकी है तो उन्हें रात में डरावने सपने आते होंगे.
बॉलीवुड-साउथ डायरेक्टर्स में फर्क
राम गोपाल वर्मा ने पुष्पा 2: द रूल की धमाकेदार सक्सेस का रेफरेंस देते हुए बताया कि कुछ लोग ऐसी फिल्म बनाने का सोच भी नहीं सकते. क्योंकि उनमें इतनी समझदारी ही नहीं है. रामू ने कहा कि जहां कई बॉलीवुड फिल्म मेकर्स की सोच सिर्फ बांद्रा तक सीमित है, वहीं कुछ साउथ डायरेक्टर्स अब भी अपने जड़ों से ऊपर नहीं बढ़ पाए हैं.
पिंकविला से बातचीत में राम गोपाल वर्मा बोले- मैं नाम नहीं लूंगा, साउथ के ज्यादातर डायरेक्टर अंग्रेजी भी नहीं बोल पाते. वो बहुत ही साधारण, जड़ों से जुड़े हुए होते हैं. वो दिमागी तौर से बात भी नहीं करते हैं. वो आम दर्शकों से ज्यादा जुड़े होते हैं, जो कि मुझे लगता है कि किसी बॉलीवुड फिल्म मेकर के लिए नामुमकिन है.
‘सिक्स-पैक वालों को नहीं पसंद आएगा पुष्पा’
रामू ने कहा कि बॉलीवुड में कोई भी पुष्पा 2 जैसी फिल्म नहीं बना सकता, इसलिए नहीं कि वो काबिल नहीं है, बल्कि इसलिए कि वो ऐसा नहीं सोचते. रामू ने आगे एक प्रॉमिनेंट फिल्म मेकर की बात बताते हुए एक किस्सा सुनाया और कहा, ”जब उन्होंने पुष्पा 1 देखी, तो उन्होंने कहा, ‘नॉर्थ की ऑडियन्स इस लड़के के चेहरे पर उल्टी कर देगी’. मुझे नहीं लगता कि इसका पैसे से कोई लेना-देना है, इसका रिलेशन किरदार से है. उस प्रोड्यूसर को सिक्स-पैक वाला, बेहद खूबसूरत लड़का पसंद है… पुष्पा 1 और 2 के बाद अब उसे बुरे सपने आ रहे होंगे.”
‘स्टार्स की तरह काम करे स्टार्स’
रामू ने आगे कहा कि बॉलीवुड और साउथ में सेंसिबिलिटी का बड़ा फर्क है, और इसका ऑडियन्स से कोई लेना देना नहीं है. क्योंकि लोग हर उस फिल्म को देश के किसी भी कोने से देख लेंगे जो अच्छी बनी होगी. स्टार्स को स्टार्स की तरह काम करना चाहिए, उन्हें किरदार नहीं बनना चाहिए. वो बदल गए तो आपका कनेक्शन टूट जाएगा. अगर आप भी बदल गए तो भी आपको वही इमोशन रखना होगा. बॉलीवुड में स्टोरी पर बहुत ज्यादा काम किया जाता है, साउथ डायरेक्टर्स सिर्फ सीन्स पर काम करते हैं. उन्हें स्टोरी की परवाह नहीं. एक बड़े एक्टर ने एक बार मुझसे कहा था कि मैं कभी स्टोरी नहीं सुनता, मेरा एक ही सवाल रहता है कि मेरा एंट्री सीन कैसा है?