रीवा : जिले के त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रेही में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत डोड़किया से सिन्हा तक सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का गंभीर अभाव है और ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं.
ग्रामीणों के आरोप: घटिया सामग्री का प्रयोग
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, सड़क निर्माण में न तो मिट्टी का भराव किया जा रहा है और न ही गिट्टी सही मात्रा में मिलाई जा रही है. सामान्यत: सड़क निर्माण में पहले मिट्टी बिछाई जाती है, उसके बाद गिट्टी और अन्य सामग्रियों का Abar अनुपात में इस्तेमाल किया जाता है. परंतु इस सड़क पर पहले से बनी मोरम रोड को हल्का सा समतल कर केवल एक इंच गिट्टी डालकर लीपा-पोती की जा रही है.
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज
ग्रामीणों ने निर्माण कार्य की खराब गुणवत्ता को लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत संख्या 30917705 और 30936626 के माध्यम से ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से सड़क की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए तो यह सड़क जल्द ही टूट-फूट जाएगी और सरकारी धन का दुरुपयोग होगा.
पत्रकारों की मांग: निष्पक्ष जांच हो
वरिष्ठ पत्रकार विजय तिवारी ने भी शासन और प्रशासन से अपील की है कि सड़क निर्माण की निष्पक्ष जांच की जाए और गुणवत्ता विहीन कार्य करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सड़क योजना ग्रामीण विकास की रीढ़ है और इसमें लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए.
ग्रामीणों की नाराजगी
ग्राम रेही और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों में इस घटिया निर्माण को लेकर भारी नाराजगी है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों का उद्देश्य गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ना है, लेकिन यदि इसी तरह की लापरवाही होती रही तो सड़कें जल्दी ही खराब हो जाएंगी.
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि निर्माण कार्य की निगरानी करने वाले अधिकारियों की भूमिका क्या है। यदि समय रहते निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच होती तो शायद यह समस्या सामने नहीं आती.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस शिकायत पर क्या कदम उठाता है. क्या दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, या फिर इसे भी लीपापोती करके छोड़ दिया जाएगा.
इस मामले ने एक बार फिर से सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और निगरानी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया है. ग्रामीणों को अब शासन-प्रशासन से उम्मीद है कि उनकी शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा और इस निर्माण कार्य को मानकों के अनुरूप सुधारा जाएगा.