लोकसभा में आज जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश हो गई है. विपक्ष के हंगामे के बीच जेपीसी रिपोर्ट पेश हुई. वक्फ बिल पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी को बस वोट चाहिए. पहले उन्होंने धारा-370 के नाम पर ऐसा किया, फिर मंदिर-मस्जिद विवाद और अब वक्फ बिल लेकर आए हैं.
वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये वक्फ बिल मुसलमानों को बर्बाद करने के लिए लाया जा रहा है. ये असंवैधानिक है, मुसलमानों को अपनी वर्शिप से दूर करने के लिए सरकार ये बिल ला रही है. इस बिल पर बहस के लिए ऐसे लोगों को बुलाया गया था, जिनका बिल से कोई लेना-देना नहीं था. सरकार मस्जिद, कब्रिस्तान और दरगाह को मुसलमानों से छीनने के लिए ये बिल लेकर आई है.
वक्फ बिल पर JPC की रिपोर्ट लोकसभा में पेश किए जाने को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि इस विधेयक के बारे में विपक्ष के सुझावों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया. यह विधेयक देश के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पेश किया गया है. हमने न केवल इस विधेयक का विरोध किया है, बल्कि इसका बहिष्कार भी किया है और हम इसे किसी भी हालत में पारित नहीं होने देंगे.
वक्फ बिल पर JPC रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने को लेकर विपक्ष का हंगामा
संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट से विपक्ष के असहमति नोट हटाने को लेकर भारी हंगामा हुआ. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने जेपीसी रिपोर्ट से उनके विरोध के हिस्से को हटा दिया, जिसे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गलत बताते हुए सफाई दी. संसद परिसर में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर असहमति नोट में कुछ ऐसा होता है, जो समिति पर ही सवाल उठाता है, तो अध्यक्ष को उसे हटाने का अधिकार होता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी सदस्य को आपत्ति है, तो वे समिति अध्यक्ष के समक्ष अपील कर सकते हैं. रिजिजू ने कहा कि ये कहना गलत है कि विपक्ष के असहमति नोट को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया. सभी असहमति नोट रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे हिस्से जो समिति पर संदेह पैदा करते हैं, उन्हें हटाया गया है. यह पूरी तरह नियमों के अनुसार हुआ है.
खड़गे ने साधा निशाना
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया. खड़गे ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट में कई सदस्यों ने अपनी असहमति दर्ज कराई थी, लेकिन उसे हटा दिया गया. सिर्फ बहुमत के विचार को शामिल कर रिपोर्ट को आगे बढ़ाना लोकतंत्र विरोधी और निंदनीय है. खड़गे ने इसे ‘संसदीय परंपराओं के खिलाफ’ बताते हुए कहा कि सरकार लोकतांत्रिक विरोध की आवाज को दबा रही है.