Madhya Pradesh: मुरैना आपातकालीन सेवा के लिए सरकार ने 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की थी, ताकि जरूरतमंद मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके. लेकिन मुरैना में इस सेवा का कुछ और ही इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां एंबुलेंस मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के बजाय सवारियां ढो रही हैं और उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं.”
तस्वीरें मुरैना के बेरियल चौराहे की हैं, जहां 108 एंबुलेंस में मरीजों की जगह आम सवारियों को बैठाया जा रहा है. और तो और, इन सवारियों से प्रति व्यक्ति 50 रुपये वसूले जा रहे हैं.”
सरकारी आपातकालीन सेवाओं का यह हाल देखिए, जहां जरूरतमंद मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिलती, वहीं कुछ चालक इसे प्राइवेट टैक्सी की तरह इस्तेमाल कर रहे है,
“ये पहली बार नहीं हो रहा. कुछ समय पहले एंबुलेंस न मिलने की वजह से एक लाचार बेटा अपनी बीमार मां को ठेले में बिठाकर अस्पताल ले जाने को मजबूर था. सवाल यह है कि, जब जरूरतमंदों को एंबुलेंस नहीं मिलती, तब यह सुविधा आखिर जा कहां रही है?”
जब इस तरह की घटनाओं के बाद जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की जाती है तो वह जांच के नाम पर अपना पल्ला झाड़ते नजर आते हैं आज फिर से यही हुआ जब बंसल न्यूज़ ने स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ पद्मेश उपाध्याय से सरकारी 108 एंबुलेंस में सवारी ढोनी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने जांच करवाने की बात कह दी और चलते बने इससे यही लगता है की, जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियां को ठीक से नहीं निभा रहे और उनके अधीनस्थ कर्मचारी इसका भरपूर लाभ ले रहे हैं और सरकारी मशीनों का दुरुपयोग करते नजर आते हैं जिससे उनको किसी का डर भी दिखाई नहीं देता क्यों की, आपातकालीन सेवा को प्राइवेट टैक्सी में बदलना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी गलत है. सवाल उठता है कि, क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर एंबुलेंस की यह मनमानी ऐसे ही चलती रहेगी.