पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान के बेटे का अंडर-19 टीम में चयन… वीरेंद्र सहवाग ने बताई कहानी

पुलवामा में हुए आतंकी हमले को 6 साल पूरे हो चुके हैं. 14 फरवरी 2019 को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी ने विस्फोटक से लदे वाहन को आरपीएफ जवानों की बस से टक्कर मार दी थी. इस टक्कर के बाद एक जोरदार धमाका हुआ. हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे.

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सहवाग ने लिया था ये फैसला…

पुलवामा हमले के बाद टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने एक दिल जीतने वाला फैसला लिया था. सहवाग ने पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली. सहवाग ये जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं.

राहुल सोरेंग और अर्पित सिंह झज्जर स्थित सहवाग इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते हैं. राहुल के पिता विजय सोरेंग और अपित सिंह के पिता राम वकील उस आतंकवादी हमले में शहीद हो गए थे. राहुल सोरेंग तो अब क्रिकेट की दुनिया में भी अपनी पहचान बना रहे हैं. राहुल सोरेंगे का चयन हाल ही में हरियाणा अंडर-19 टीम में हुआ है. इसकी जानकारी वीरेंद्र सहवाग ने खुद दी है.

वीरेंद्र सहवाग ने पुलवामा अटैक की छठी बरसी पर एक मार्मिक पोस्ट शेयर किया. सहवाग ने लिखा, ‘इस दुखद दिन को 6 साल हो गए है. हमारे बहादुर जवानों के शहादत की भरपाई नहीं हो सकती है, लेकिन राहुल सोरेंग s/o शहीद विजय सोरेंग और अर्पित सिंह s/o शहीद राम वकील पिछले 5 सालों से सहवाग इंटरनेशनल स्कूल में हैं, जो सबसे संतोषजनक अहसासों में से एक है. राहुल को हाल ही में हरियाणा अंडर-19 टीम में चुना गया है. सभी बहादुरों को नमन.’

वीरेंद्र सहवाग की यह पोस्ट न केवल राहुल सोरेंग की उपलब्धि का जश्न मनाती है, बल्कि भारतीय सैनिकों के बलिदान और उनके परिवारों का समर्थन करने के महत्व पर भी प्रकाश डालती है. राहुल की जर्नी आशा की किरण है और यह याद दिलाती है कि कैसे एक सार्थक पहल युवा प्रतिभाओं को उनके सपनों को पूरा करने के लिए सशक्त बना सकती है. राहुल ने स्कूल में कड़ी ट्रेनिंग की है और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अपने क्रिकेटिंग स्किल को निखारा है. उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने अब उन्हें हरियाणा अंडर-19 टीम में जगह दिलाई है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

 

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राहुल सोरेंग झारखंड के गुमला जिले से ताल्लुक रखते हैं. राहुल के पिता शहीद विजय सोरेंग सीआरपीएफ की 82 वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे. 1993 में वे सेना में भर्ती हुए थे और 1995 में एसपीजी के कमांडो दस्ता शामिल हुए. वहीं अर्पित सिंह के पिता शहीद राम वकील 176वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात थे. अर्पित उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से ताल्लुक रखते हैं.

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