अयोध्या : भक्ति, समर्पण और अटूट संकल्प का अद्भुत उदाहरण पेश करते हुए गुजरात के दो रामभक्त—उज्जवल ड्रोलिया और संजय शुक्ला—1500 किलोमीटर की दूरी दौड़ते हुए तय कर अयोध्या पहुंचने वाले हैं. यह प्रेरणादायक यात्रा 22 जनवरी को गुजरात के वापी जिले से शुरू हुई थी और आज 16 फरवरी को इनका लक्ष्य पूर्ण हो जाएगा.
हर दिन 60 किमी की दौड़, एक भी कदम पैदल नहीं
27 वर्षीय उज्जवल और 33 वर्षीय संजय ने संकल्प लिया था कि वे इस दूरी को बिना किसी वाहन सहायता के सिर्फ दौड़ते हुए तय करेंगे. पूरे 25 दिनों तक प्रतिदिन 60 किलोमीटर की दौड़ लगाते हुए उन्होंने यह असंभव-सा दिखने वाला लक्ष्य हासिल किया है.
यात्रा के दौरान इन दोनों धावकों ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश भी प्रचारित किया और इस दौड़ से मिलने वाले धन को बेटियों की शिक्षा के लिए दान करने का संकल्प लिया है.
रामलला के दर्शन से पहले 6 किमी की पदयात्रा
अयोध्या में प्रवेश करने के बाद, दोनों श्रद्धालु राम मंदिर तक की अंतिम 6 किलोमीटर की यात्रा पैदल करेंगे. इस दौरान अन्य श्रद्धालु भी उनके साथ जुड़ेंगे. उज्जवल ने बताया कि महाकुंभ के कारण अयोध्या में भारी भीड़ होने की संभावना है, इसलिए विशेष योजना बनाकर दर्शन करेंगे.
पैशन से प्रेरित, लक्ष्य के लिए समर्पित
उज्जवल और संजय लंबे समय से मैराथन धावक हैं. उज्जवल ने 12 घंटे की मैराथन में पहला स्थान हासिल किया था. उनका सपना था कि जब लाखों श्रद्धालु ट्रेन, बस और कार से रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं, तो वे दौड़कर जाएं और एक अलग मिसाल पेश करें.
उन्होंने 8-9 महीने पहले इस योजना पर काम शुरू किया और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर यात्रा आरंभ की. यात्रा के दौरान उनकी माताजी और संजय की पत्नी कार से उनके साथ थीं, जो उनकी सहायता कर रही थीं.
समर्पण और आस्था की नई परिभाषा
रामभक्ति से ओतप्रोत यह यात्रा सिर्फ शारीरिक शक्ति का नहीं, बल्कि आस्था और संकल्प का भी प्रतीक है. उज्जवल और संजय ने साबित कर दिया कि जब लक्ष्य स्पष्ट हो और भक्ति सच्ची हो, तो कोई भी दूरी कठिन नहीं होती.