रायपुर। प्रदेश की 13 हजार राशन दुकानों में करोड़ों रुपये खर्च करके बांटी गईं ई-पीओएस मशीनें फिर बदली जा रही हैं। नई मशीनें खरीदी जा चुकी हैं। रायपुर की 10 राशन दुकानों में मशीनें इंस्टाल की जा चुकी हैं।
वजह यह है कि यूआईडी ने प्रदेश में उपयोग होने वाली मशीन को सुरक्षा कारणों से रिजेक्ट कर दिया है। बता दें कि प्रदेश की दुकानों के लिए कांग्रेस सरकार ने 13,000 नई ई-पाश मशीनें खरीदी थीं, जो बार-बार खराब हो रही थीं। वे टू-जी प्रणाली से चलती थीं, इस वजह से बार-बार नेटवर्क की समस्या भी सामने आती थी।
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अब फिर से नई ई-पीओएस मशीनें लगाई जा रही हैं। बता दें कि अभी ई-पीओएस मशीन में थंब लगाने के बाद ही कार्डधारियों को खाद्यान्न मिलता है। प्रदेश की सभी 13,905 दुकानों में अपडेट मशीनें लगाई जाएंगी। नई मशीनें सुरक्षित हैं और उनकी स्पीड भी ज्यादा रहेगी।
बारिश में सर्वर डाउन जैसी समस्या नहीं आएगी। ठेका शर्त में यह है कि मशीन में दिक्कत होने पर कंपनी ही बदलकर देगी। उसी आधार पर कंपनी को नए निर्देश का पालन करना है।
रायपुर में शुरू हो गया नई मशीनों से वितरण
प्रदेश में करीब 13,000 शासकीय उचित मूल्य दुकानें हैं। सभी दुकानों में मशीनें बदल दी जाएंगी। अभी प्रायोगिक तौर पर 10 राशन की दुकानों को मशीनें दी जा चुकी हैं। इनसे वितरण भी शुरू हो गया है। कंपनी पुरानी मशीन वापस ले रही है। अब नई मशीनें इंस्टाल भी की जा रही हैं।
2021 में लगी थीं मशीनें
तीन साल पहले मंत्रा इनबिल्ट एलओ बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट स्कैनर दुकानों में लगा है। अब दुकानों में इस मशीन की जगह एलआइ स्कैनर युक्त वीए 2 वन ई-पीओएस डिवाइस लगाया जा रहा है। इस डिवाइस को यूआइडीएआइ ने अप्रूव किया है।
कंपनी को 2021 में मशीन लगाने का ठेका मिला था। शासकीय उचित मूल्य दुकानों में लगाई गई ई-पीओएस (पाइंट आफ सेल) मशीनों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने रिजेक्ट कर दिया है। राज्य शासन ने मेसर्स लिंक वेल टेलीसिस्टम कंपनी को अपडेट वर्जन की मशीन लगाने को कहा है।
तीन बार बदली जा चुकी हैं मशीनें
पिछले आठ साल से राशन दुकानों की मशीनों को तीन बार बदला जा चुका है, ताकि राशन की गड़बड़ी रोकी जा सके। पहले टेबलेट, फिर मारफो, ई-पीओएस और वेइंग मशीन दी गई। 2016 के पहले तक राशन में मैनुअल सिस्टम से खाद्यान्न वितरण होता था।
गड़बड़ी की शिकायतों के बाद टेबलेट से वितरण शुरू हुआ। इसमें हितग्राही का फोटो खींचा जाता था। फिर 2017 में फिंगरप्रिंट बायोमीट्रिक डिवाइस से वितरण शुरू हुआ। 2021 में ई-पीओएस मशीनें दी गईं और फिर वेइंग मशीनों से इसे जोड़ा गया। इन सबके बावजूद राशन की हेराफेरी पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी।