MP कैडर के IAS नियाज खान बोले- इस्लाम तो अरब का धर्म, भारत में तो हिंदू से मुस्लिम बनाए गए थे लोग

मध्य प्रदेश कैडर के चर्चित आईएएस अफसर नियाज खान एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. इस बार मुस्लिम अफसर ने कहा है कि भारत में सभी हिंदू थे. इस्लाम तो अरब देशों से यहां आया, इसलिए देश के मुसलमानों को पहले हिंदुओं को भाई मानना चाहिए और फिर अरब के देशों को मानना चाहिए.

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर IAS नियाज खान ने लिखा, ”इस्लाम तो अरब का धर्म है. यहां तो सभी हिंदू थे. हिंदू से लोग मुस्लिम बनाए गए थे. इसलिए भले ही धर्म अलग-अलग हों, लहू तो एक है. सभी एक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं. अगर जो मुस्लिम अरब के लोगों को आदर्श मानते हैं, वे पुनर्विचार करें. सर्वप्रथम हिंदुओं को अपना भाई मानें, बाद में अरब को.”

आईएएस नियाज़ खान ने कहा, ”आज मुसलमान हिंदू नहीं – मुसलमान ही हैं. मेरी पोस्ट में यह कहा गया है कि एक समय था, हजारों साल पहले, जब यहां के सभी लोग हिंदू थे. बाद में, जब सऊदी अरब में इस्लाम की उत्पत्ति हुई और यह धर्म पूरे विश्व में फैल गया, तो हमारे देश में हिंदू संस्कृति की जड़ें गहरी थीं – जैसा कि इंडोनेशिया और मलेशिया में देखा जाता है. वहां के लोग बाहरी प्रभाव में आकर नए धर्म को अपना गए. यह परिवर्तन और बातचीत कई सदियों तक चली.

‘इस्लाम का आगमन और हमारी जड़ें’
हालांकि, इस्लाम की शुरुआत सऊदी अरब में हुई, लेकिन धीरे-धीरे यहां के लोगों ने भी इसे अपना लिया. अगर आप किसी भी व्यक्ति के जीन (आनुवंशिकी) की जांच कराएं, तो पाएंगे कि हिंदुस्तान के लोगों के जीन आपस में मिलते-जुलते हैं. इस्लाम लगभग 1500 साल पहले आया, लेकिन हमारी आनुवंशिकी में बदलाव नहीं आया. मैं यह नहीं कह रहा कि मुसलमान हिंदू हैं; बल्कि मेरा कहना है कि सभी की उत्पत्ति एक ही स्थान से हुई है. समय के साथ, लोग एक ही आधार से उत्पन्न होकर नए विश्वास और नई आस्था अपना लिए हैं. मेरा उद्देश्य यह संदेश देना है कि, चाहे हम किसी भी आस्था के हों, भारत में हम सभी भाई-बहन हैं – हमारे रक्त में एकता है. हमारे बीच दो शाखाएं बन गई हैं: एक है हिंदू और दूसरी है मुसलमान, पर दोनों ही हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं.

‘राष्ट्र की प्राथमिकता’
मैंने यह भी देखा है कि अक्सर सऊदी अरब के मुसलमानों को प्राथमिकता दी जाती है. मेरा मानना है कि हमें पहले भारत पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, क्योंकि हम यहां 24 घंटे एक साथ रहते हैं. साथ ही हमें अपने अरब के मुसलमान भाइयों के प्रति भी समान निष्ठा रखनी चाहिए. धर्म की बात नहीं, बल्कि इंसानियत की. मेरे विचार में अरब के मुसलमान हमारे आदर्श नहीं हो सकते, क्योंकि हमारे यहाँ के विद्वान और विचारक ही हमारे सच्चे आदर्श हैं. हमारी आस्था भले ही अलग हो, लेकिन हिंदू हमारे भाई हैं.

लेखक का दृष्टिकोण
मैं राजनीति से दूर एक लेखक और विचारक के रूप में अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूं. मैंने अब तक 11 उपन्यास लिखे हैं और वैज्ञानिक, तार्किक दृष्टिकोण से सोचता हूँ. मेरा मानना है कि सनातन धर्म कोई नया धर्म नहीं है – यह बहुत प्राचीन है. हमारे यहां दो प्रकार के विश्वास विकसित हुए हैं: एक सनातन और दूसरा हमारा अपना, पर अंततः हम सभी भाई-बहन हैं. हमें अलग-अलग धर्मों के आधार पर देश को दो हिस्सों में बांटने की बजाय एकता बनाए रखनी चाहिए.

भाईचारे का संदेश
हमारे हिंदू भाई हमारी पहली प्राथमिकता हैं. मुश्किल समय में, वे अपने कंधे से कंधा मिलाकर हमारे पास आएंगे– चाहे वह सऊदी अरब हो या ईरान, कोई भी बाहरी तत्व उतना प्रभावी नहीं होगा. हिंदू भाई पहले उठेंगे और मिलकर प्रेम तथा सद्भाव से देश की रक्षा करेंगे. मैं इसे किसी राजनीतिक एजेंडे से नहीं, बल्कि एक सच्चे लेखक और विचारक के तौर पर प्रस्तुत कर रहा हूं.

आनुवंशिकी और भारतीय पहचान
मेरे अनुसार, भारतीयों के जीन – यानी उनकी आनुवंशिकी – सभी में समानता है. अगर आप भारत के किसी भी हिस्से का नमूना लें, तो पाएंगे कि उनके जीन किसी अरब देश के जीन से मेल नहीं खाते, बल्कि एक दूसरे से बहुत समान हैं. यह तथ्य हमें यह समझाने में मदद करता है कि हमारी उत्पत्ति कहां से हुई है और हमारे बीच एक गहरा संबंध है.

अंतिम विचार
आजकल राजनीति के पीछे स्वार्थ छिपा होता है, पर मैं एक लेखक और विचारक के रूप में यही कहना चाहता हूँ कि हमारी आस्था में हमेशा एकता रही है. इतिहास में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जहाँ स्पष्ट होता है कि पहले अधिकांश लोग हिंदू थे और बाद में, समय के साथ, धर्म परिवर्तन भी हुआ. लोग अपने-अपने तरीके से चीज़ों को आगे बढ़ाते हैं. मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं तार्किक, वैज्ञानिक और विचारशील दृष्टिकोण से अपने विचार रखूं.”

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